नाहन : सरकारी नौकरी के लिए भर्ती नियमों में बदलाव को लेकर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। सिरमौर जिला भाजपा प्रवक्ता मेलाराम शर्मा ने प्रदेश सरकार पर बेरोजगार युवाओं के लिए भर्ती नियमों में “अनैतिक बदलाव” कर उनके भविष्य के साथ “घिनौना खिलवाड़” करने का आरोप लगाया है।
मेलाराम शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सरकारी नौकरी को शुरुआती 2 वर्षों तक प्रशिक्षण आधार (ट्रेनिंग बेसिस) पर करने और उसके बाद दोबारा परीक्षा (री-एग्जामिनेशन) लेकर नियमित करने के संशोधित नियम लागू किए हैं। इसे उन्होंने बेरोजगार युवाओं के साथ “भद्दा मजाक” करार दिया।
उन्होंने कहा कि इन संशोधित नियमों से सरकार की मंशा स्पष्ट हो गई है कि अपनी प्रतिभा और उच्च शिक्षा के आधार पर नौकरी पाने वाले युवाओं को पहले 2 वर्षों के दौरान ही नौकरी से हटाने की तलवार लटका रही है। उन्होंने याद दिलाया कि चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रतिवर्ष 1 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद रोजगार के नाम पर युवाओं को कुछ नहीं मिला है।
अब “बेतुके नियम” लागू करके सरकार ने अपनी प्रतिभा के दम पर नौकरी पाने वाले युवाओं को 2 वर्षों के प्रशिक्षण काल के दौरान नौकरी से हटाने का रास्ता तैयार कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इन नियमों के तहत यदि कोई युवा अपनी योग्यता और प्रतिभा के बल पर सरकारी नौकरी प्राप्त करता है, तो उसे 2 वर्षों तक सरकारी नियमों के कोई लाभ नहीं मिलेंगे और न ही वेतन वृद्धि होगी। इससे बेरोजगार युवाओं का सरकारी नौकरियों के प्रति मोह भंग होगा और उनके भविष्य की चिंता बढ़ जाएगी।
उन्होंने बताया कि सरकारी भर्ती नियमों में पहले से ही 2 वर्षों के लिए प्रोबेशनरी पीरियड (परिवीक्षा अवधि) का प्रावधान है, लेकिन सुक्खू सरकार के इस बेतुके संशोधन के फरमान से अब 2 वर्षों तक प्रशिक्षण आधार पर नौकरी करने वाले कर्मियों पर नौकरी से बाहर करने की तलवार लटक गई है। साथ ही, उन्हें इस अवधि के दौरान सरकारी सेवा के लाभ भी नहीं मिलेंगे।
मेलाराम शर्मा ने सरकार से इस तुगलकी फरमान को तुरंत वापस लेने की मांग की है। अन्यथा प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवक-युवतियों के भारी रोष के कारण सरकार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।