नाहन|
मेडिकल कालेज नाहन में एक और चमत्कार हो गया. चमत्कार इसलिए की ये पेशेंट भी पीजीआई चंडीगढ़ से वापस नाहन पहुंचा. परिजन सारी उम्मीद छोड़ चुके थे. फिर भी मेडिकल कालेज नाहन की महिला डॉक्टर ने मरीज को जीवनदान देने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. शायद मरीज और इसके परिजनों को भी ये अंदाजा न हो कि जहां से उसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान में रेफर किया गया था, उसी अस्पताल ने उसका जीवन वापस लौटा दिया. जीवनदान देने वाला ये कोई दूसरा डाक्टर नहीं था, ये वही महिला डॉक्टर है, जिन्होंने कोमा में गए लिवर फेलियर 37 साल के एक मरीज को नया जीवनदान दिया.
ये मामला भी कुछ इसी तरह का है, जैसा जीवनदान उक्त मरीज पप्पू को यहां मिला. अब ये मामला एक महिला बुजुर्ग से जुड़ा है. दरअसल, 75 वर्ष की एक बुजुर्ग महिला ब्रेन स्ट्रोक होने की वजह से कोमा में पहुंच गई थी. गर्दन से नीचे शरीर का हिस्सा टोटली पैरालिसिस हो गया. परिजनों ने बेहतर उपचार के मकसद से बुजुर्ग को नाहन से पीजीआई चंडीगढ़ रैफर तो करवा लिया, लेकिन पीजीआई के डाक्टरों ने मरीज परिजनों से कहा कि बस अब सेवा कीजिए. चाहे तो मरीज को यहां भी रख सकते हैं, लेकिन वह आश्वासन नहीं दे सकते कि मरीज ठीक होगा भी या नहीं.
लिहाजा, मरीज की जान बचाने को लेकर थक-हारकर परिजन उसे नाहन मेडिकल कालेज लेकर पहुंचे. यहां मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अनिकेता ने यहां पुनः उनकी मां का उपचार शुरू किया. यकीन मानिए, यहां डॉ. अनिकेता शर्मा फिर बुजुर्ग महिला मरीज के लिए फिर फरिश्ता बन गईं. नतीजतन महिला की हालत में सुधार आने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दी गई. इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब बुधवार को परिजन बुजुर्ग महिला को रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे थे.
मामला ये है कि जिला सिरमौर के शिलाई के दुगाना गांव की 75 वर्षीय नाजरो देवी को 5 दिसंबर को उनका बेटा नाहन अस्पताल लेकर आया था. उनकी हालत इतनी अधिक खराब हो गई थी कि परिवार पूरी तरह घबरा गया. यहां टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद बताया गया कि उनकी मां को ब्रेन स्ट्रोक हो गया है और हालत गंभीर है. लिहाजा, बेहतर उपचार के मकसद से वह अपनी माता को रैफर करवाकर पीजीआई चंडीगढ़ ले गए, जहां उन्हें दाखिल भी कर लिया गया, लेकिन साथ ही यह भी कह दिया कि आपके मरीज की हालत काफी खराब है और वह कोमा में है. वहां उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला. इसके बाद वह मरीज को वापस नाहन अस्पताल ले आए.
यहां डॉ. अनिकेता ने महिला का इलाज शुरू किया. यकीन मानिए, कुछ दिन बाद न केवल बुजुर्ग महिला कोमा से बाहर आई, बल्कि शारीरिक तौर पर भी काफी सुधार हुआ. 25 दिसंबर को उन्हें अस्पताल से छुट्टी देकर घर भी भेज दिया गया. अब नाजरो की हालत में निरंतर सुधार आ रहा है. उम्मीद है कि कुछ दिनों में वह चलने-फिरने भी लग जाएंगी. बुधवार को वह पुनः रूटीन चेकअप के लिए मां को लेकर यहां पहुंचे थे. जहां उन्होंने डा. अनिकेता सहित उनकी टीम का आभार भी व्यक्त किया.
क्या कहती हैं डॉ. अनिकेता
मेडिकल कालेज नाहन में मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनिकेता शर्मा ने बताया कि बुजुर्ग महिला बीपी की दवाइयां लेती थी, जिसे वह बीच-बीच में छोड़ भी देती थी. इसी बीच एकाएक बीपी काफी अधिक बढ़ जाने के कारण मरीज को ब्रेन स्ट्रोक हो गया. मल्टीपल ब्लॉकेट्स होने के कारण महिला मरीज कोमा में चली गईं. उनके गर्दन से नीचे शरीर का पूरा हिस्सा टोटली पैरालिसिस हो चुका था. परिजनों को समझाया गया था कि जो ट्रीटमेंट पीजीआई में दिया जाएगा, वही उन्हें यहां भी दिया जाएगा, लेकिन अपनी संतुष्टि के लिए परिजन महिला को चंडीगढ़ ले गए. इसके अगले दिन परिजन दोबारा महिला को चंडीगढ़ से यहां ले आए.

डा. अनिकेता ने बताया कि यहां आने पर महिला मरीज को जनरल महिला वार्ड में दाखिल किया गया. 5 दिनों तक मरीज कोमा में ही रहीं. किसी भी तरह का कोई भी रिस्पोंड नहीं किया. फिर भी कोमा के मरीज को जिस तरह की नर्सिंग केयर मिलती है, वह दी जा रही थी. साथ ही मल्टीपल ब्लॉकेट्स का ट्रीटमेंट दिया जा रहा था.
उन्होंने बताया कि करीब 10-11 दिन बाद मरीज ने अपनी आंखे खोल दाएं-बाएं देखना शुरू किया. साथ ही अपनी हाथों और बाजुओं को भी हिलाना शुरू कर दिया. फिर मरीज की फिजियोथैरपी शुरू की गई. साथ ही मरीज के अटेंडेंट ने भी उन कमांडस को अच्छे से फॉलो किया, जो उन्हें बताई गई थी. 21वें दिन मरीज को अस्पताल से छुट्टी दी गई. आज ये मरीज पूरे होश में है. खुद अपने हाथ से खाना खाती हैं. बातचीत भी करती हैं.
उन्होंने कहा कि जब तक मरीज की सांसें चल रही होती हैं, तब तक कोई भी डाक्टर उम्मीद नहीं छोड़ता, लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी होती है, जो कुदरत अपने हाथ में रखती है. इस केस में भी उन्होंने अपने पेशे को ध्यान में रखते हुए अपना शत प्रतिशत देने का प्रयास किया और महिला की जान बच गई.
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