राजगढ़ : जिला सिरमौर के राजगढ़ क्षेत्र में तीन दिवसीय बैशाखी अर्थात बीशू का त्यौहार बड़े हर्षोंल्लास व परंपरागत तरीके के साथ मनाया गया. परंपरा के अनुरूप लोगों ने इस त्यौहार पर कई प्रकार के पारंपरिक व्यंजन तैयार किए, जिनमें आटे के मीठे बकरे बनाने की अनूठी परंपरा बदलते परिवेश में भी कायम है. लोगों ने अपने घरों के बाहर बुरांस के फूलों की माला लगाई, जिसे इस पर्व पर बांधना बहुत शुभ माना जाता है.
कालांतर से इस पर्व को हर वर्ष नववर्ष के आगमन के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है. यह पर्व तीन दिन लगातार मनाया जाता है. संक्रांति से दो दिन पहले लोग अपने घरों में सिडडू पकाते हैं. अगले दिन घरों में आटे के बकरे और रात्रि को अस्कली बनाने की विशेष परंपरा है. इसी प्रकार संक्रांति के दिन पटांडे और खीर बनाई जाती है.

सिरमौर में बीशू की साजी के अवसर पर कई स्थानों पर मेलों का भी आयोजन होता है. वरिष्ठ नागरिक रणजीत सिंह तोमर ने बताया कि बीशू की साजी अर्थात संक्रांति को लोग अपने कुल देवता के मंदिर में विशेष पूजा करते हैं.
पहाड़ी क्षेत्रों में वर्ष में पड़ने वाली चार बड़ी साजी का विशेष महत्व है, जिनमें बैशाख, श्रावण मास की हरियाली, दीपावली और मकर संक्रांति शामिल हैं. बैशाखी के पर्व पर राजगढ़ के समीप शाया स्थित शिरगुल देवता के मंदिर में हजारों लोगों ने अपनी हाजरी भरी.
साहित्यकार शेरजंग चौहान ने बताया कि बैशाख की संक्रांति आने से पहले लोग अपनी विवाहित बेटियों व बहनों को उनके घर जाकर त्यौहार की भेंट देते हैं. ये विशेष परंपरा आज भी कायम है, जिसका बेटियां बेसब्री से इंतजार करती हैं. इसके अतिरिक्त बीशू पर्व पर लोग अपने रिश्तेदारों व विवाहित बहनों व बेटियों को आमंत्रित भी करते हैं.