अध्यात्म और योग से मिलती है स्थिरता : स्वामी निश्चलानंद

इससे दिव्य ऊर्जा का संचार होता है, जिससे हम एक स्वस्थ समाज की रचना कर सकते हैं।

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सोलन : योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस) के स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि अध्यात्म व योग से स्थिरता आती है। इससे दिव्य ऊर्जा का संचार होता है, जिससे हम एक स्वस्थ समाज की रचना कर सकते हैं।

स्वामी निश्चलानंद शनिवार को यहां शूलिनी यूनिवर्सिटी में चल रहे तीन दिवसीय वाईएसएस आध्यात्मिक रिट्रीट के दूसरे दिन पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस मौके पर शूलिनी यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रो. पीके खोसला, पूर्व आईएएस अधिकारी विवेक आत्रेय, डॉ. पंकज ललित समेत अन्य मौजूद रहे।

स्वामी ने कहा कि परमहंस योगानंद अपनी शिक्षाओं के विश्वव्यापी प्रसार के लिए और भविष्य में आने वाली पीढिय़ों के लिए जो अध्यात्म व योग का ज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए 1917 में योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया की स्थापना की थी।

इसका मुख्यालय रांची में है। इसके बाद 1920 में सेल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप की अमेरिका में अपने प्रारंभिक वर्षों से ही एक सफल लेखक व व्यख्याता ने अनेक लेखों और व्याख्यानों से ध्यान के योग विज्ञान, संतुलित जीवन की कला व सभी महान धर्मों में निहित एकता पर विख्यात एवं वृहत रचनाओं का सृजन किया।

स्वामी ने कहा कि आध्यात्मिक रिट्रीट शिविर तीन-तीन दिन के होते हैं और यह देश के अलग-अलग क्षेत्रों में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के स्वामी के नेतृत्व में आयोजित किए जाते हैं। देश में 200 ध्यान केंद्र मंडलियां हैं।

योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया की सदस्यता लेकर कोई भी आध्यात्मिक रिट्रीट शिविर में भाग ले सकता है। हम योग से आनंद, प्रेम और शांति को प्राप्त कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि मानव सेवा वाईएसएस की प्राथमिकता है। देश में जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आई, सोसायटी ने अपनी अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा रांची, पश्चिम बंगाल व चंडीगढ़ में वाईएसएस आध्यात्मिक टीचिंग के लिए स्कूल भी चलाती है।