नाहन : आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स यूनियन ने राष्ट्रीय आह्वान पर शुक्रवार को अपनी लंबित मांगों और समस्याओं को लेकर एडीएम सिरमौर से मुलाकात की। प्रोजेक्ट नाहन की महासचिव शीला ठाकुर की अध्यक्षता में मिले प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान प्रधानमंत्री और निदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग के नाम उन्हें ज्ञापन सौंपा। यूनियन ने दो-टूक शब्दों में कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की समस्याओं को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसे और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यूनियन की महासचिव शीला ठाकुर, जिला सह-सचिव सीता तोमर और बसंती ने कहा कि पिछले तीन महीनों से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को केंद्र का मानदेय जारी नहीं किया गया है, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने मातृत्व अवकाश के नियमों में किए गए बदलावों को अवैध करार देते हुए कहा कि इसे एक वर्ष की सेवा शर्त से जोड़ना मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 और संविधान के अनुच्छेद 42 का स्पष्ट उल्लंघन है।
यूनियन ने मांग की कि महिलाओं पर ऐसी शर्तें थोपना बंद किया जाए और मातृत्व अवकाश को सेवा के पहले दिन से ही अधिकार के रूप में बहाल किया जाए। स्वास्थ्य सेवाओं में आ रही दिक्कतों पर रोष प्रकट करते हुए यूनियन ने कहा कि आयुष्मान कार्ड बनने के बाद पुराने हिम-केयर कार्ड निष्क्रिय कर दिए गए हैं, जबकि तकनीकी कारणों से नए कार्ड नहीं बन पा रहे हैं। इसके चलते न्यूनतम मानदेय पर काम करने वाली बहनें और उनके परिवार स्वास्थ्य सुरक्षा से पूरी तरह बाहर हो गए हैं।
यूनियन ने एफआरएस एप की अनिवार्यता को भी तुरंत समाप्त करने की मांग की, क्योंकि इस तकनीकी जटिलता के कारण लाखों बच्चे और गर्भवती महिलाएं सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रही हैं। प्रतिनिधिमंडल में मीरा, जिला कमेटी सदस्य बसंती, लता, सुलोचना, सीमा रानी और पुष्पा सहित कई अन्य कार्यकर्ता शामिल रहीं। यूनियन ने चेताते हुए कहा कि यदि तीन माह का लंबित मानदेय तत्काल जारी नहीं किया गया और मातृत्व अवकाश व हिम-केयर जैसी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो आने वाले समय में यह संघर्ष पूरे प्रदेश में और अधिक तेज किया जाएगा।
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