राजगढ़ : बीते कई दिनों से हो रही लगातार बारिश के चलते गिरि नदी भारी उफान पर रही। मरयोग स्थित केंद्रीय जल आयोग के जे.ई. ने बताया कि गिरि नदी का इस वर्ष अभी तक अधिकतम जलस्तर केवल चार मीटर रिकार्ड किया गया है। गिरि नदी का रौद्र रूप देखकर नदी के किनारे रहने वाले लोग काफी सहमे हुए थे। बाढ़ आने से गिरि नदी से लिफ्ट की गई कईं पेयजल और सिंचाई परियोजनाएं भी प्रभावित हुई हैं।
इस वर्ष समूचे प्रदेश में बारिश के कहर ने करोड़ों रुपए का नुकसान किया है, लेकिन गिरि नदी के जलस्तर में कोई ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि करीब 17 साल पूर्व 20 सितंबर 2008 को गिरि नदी में आई बाढ़ का रिकार्ड आज तक नहीं टूट पाया है। इस दौरान करीब 9 मीटर गिरि नदी का जलस्तर बढ़ गया था और गिरि नदी खतरे के निशान से उपर बहने लग गई थी।
जे.ई. ने बताया कि यशवंत नगर में गिरि नदी का रीवर बेस लेवल 895 मीटर निर्धारित किया गया है, जिसे आधार मान कर पानी की गहराई मापी जाती है। इस बार अधिकतम जलस्तर 899 मीटर यानी 4 मीटर रिकार्ड किया गया है जो इस वर्ष बरसात का सर्वाधिक जलस्तर है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2008 में सर्वाधिक 903.80 मीटर अर्थात 8.80 मीटर जलस्तर मापा गया था। इसके अतिरिक्त 5 मई 1995 को सबसे ज्यादा डिस्चार्ज स्तर 1787.59 क्यूसेक रिकार्ड किया गया था, जो आज तक नहीं टूट पाया है। उन्होंने बताया कि गिरि नदी का कैचमेंट एरिया 1349 किलोमीटर है।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय जल आयोग द्वारा यशवंतनगर के गिरि नदी में स्वचालित सैटेलाइट कैमरा स्थापित किया गया है, जिसका कनेक्शन सीधे तौर पर जल आयोग के मंडल एवं उप-मंडल कार्यालय दिल्ली से जुड़ा है। इस स्वचालित कैमरे के माध्यम से भी नदी के जल स्तर की प्रतिदिन रिपोर्ट दिल्ली जाती है, जहां पर इसकी विशेषज्ञों द्वारा इसकी मॉनिटरिंग की जाती है।
बता दें कि पहले गिरि नदी के किनारे रहने वाले लोग नदी में आई बाढ़ को मापने का अपना ही अलग तरीका अपनाते थे। नदी में पड़ी विशालकाय शिलाओं से ग्रामीण बाढ़ को मापते हैं अर्थात भयंकर बाड़ आने पर नदी की शिलाएं डूब जाती थीं। इनके डूबने पर लोग ख्वाजा को प्रसन्न करने के लिए शिलाओं पर बलि भी दिया करते थे।