नाहन : शोषण मुक्ति मंच हिमाचल प्रदेश ने हाल ही में घोषित पटवारी भर्ती प्रक्रिया में अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के अभ्यर्थियों को परीक्षा शुल्क में कोई राहत न दिए जाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। मंच ने इस फैसले को सामाजिक न्याय और आरक्षण की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए इसे “आरक्षण व्यवस्था को धीरे-धीरे खत्म करने की ओर पहला कदम” करार दिया।
मंच के राज्य संयोजक आशीष कुमार और मिंटा जिंटा, जगत राम, कर्मचंद भाटिया, प्रीत पाल मट्टू, गोपाल जिलटा, मनासा राम, नरेंद्र विरुद्ध और विवेक कश्यप सहित अन्य सदस्यों ने कहा कि हर वर्ग के लिए ₹800 का समान परीक्षा शुल्क निर्धारण करके सरकार कमजोर तबकों को भर्ती प्रक्रिया में बैठने से हतोत्साहित करने की कोशिश कर रही है।
मंच ने आरोप लगाया कि यह कदम सुक्खू सरकार द्वारा आरक्षण व्यवस्था को कमजोर करने की दिशा में पहला संकेत है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर, दलित और वंचित वर्ग पहले से ही संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में भारी फीस लगाना उनके संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है।
बैठक की अध्यक्षता गोपाल जिलटा ने की। बैठक में जगत राम, प्रीत पाल मट्टू, कर्मचंद भाटिया, सतपाल मान, नैन सिंह, संदीप भारती, कमल, राजबन नेगी, इंद्र सिंह, मथरादास, उजागर, नेक राम और तिलक राज सहित कई सदस्यों ने भाग लिया।
बैठक में निर्णय लिया गया कि शोषण मुक्ति मंच का गठन अब पंचायत स्तर तक किया जाएगा, ताकि सामाजिक न्याय की लड़ाई को जमीनी स्तर पर मजबूती प्रदान की जा सके। मंच ने सरकार से स्पष्ट मांग की है कि सरकारी विभागों में होने वाली सभी प्रकार की भर्तियों चाहे वे नियमित हों या आउटसोर्स या फिर वन मित्र, पशु मित्र, श्रमिक मित्र जैसी योजनाओं के तहत हों, आरक्षण रोस्टर को सख्ती से लागू किया जाए।
इसके साथ ही कमजोर वर्गों को परीक्षा शुल्क में समुचित राहत दी जाए। शोषण मुक्ति मंच हिमाचल प्रदेश ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इस जनविरोधी फैसले को तुरंत वापस नहीं लिया गया, तो प्रदेश भर में व्यापक जन आंदोलन शुरू किया जाएगा।






