
नाहन : हिमाचल प्रदेश में इस मर्तबा मानसून की प्रचंड मार से कृषि क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस साल जिला सिरमौर के अदरक उत्पादक किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। भारी बारिश के कारण उनकी इस फसल को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि अत्यधिक नमी के चलते अदरक में ‘राइजोम रोट’ नामक गंभीर बीमारी फैल गई, जिसने लगभग 25 फीसदी फसल को खराब कर दिया। कृषि विभाग ने इस क्षति का आकलन 24.50 करोड़ रुपए किया है। जाहिर है कि इससे किसानों की आर्थिकी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
बता दें कि सिरमौर में कुल 1,867 हेक्टेयर रकबे पर अदरक का उत्पादन होता है, जिससे सामान्य वर्षों में 1,96,000 क्विंटल पैदावार हो रही है। जिले में इसकी खेती से 98 करोड़ रुपए का कारोबार होता है, लेकिन इस रोग के कारण किसानों को सीधे करोड़ों का नुकसान हुआ है।
उल्लेखनीय है कि 1980 के दशक में जिला सिरमौर के अदरक की पहचान एशिया भर में थी। यहां की गुणवत्तापूर्ण अदरक की देश भर में मांग रहती है और इससे बनाई गई सौंठ विदेशों में भी काफी लोकप्रिय रही। जिले में ट्रांसगिरि इलाके के श्री रेणुकाजी और शिलाई विधानसभा क्षेत्रों के कई इलाकों में इसकी पैदावार होती है।
इसके साथ साथ पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के सराहां और राजगढ़ आदि इलाकों के अलावा सैनधार क्षेत्र और नाहन विधानसभा क्षेत्र के कई हिस्सों में ये खेती का भारी मात्रा में होती है। भले ही इस फसल का अब पहले जैसे उत्पादन नहीं किया जा रहा है, लेकिन किसान अब भी इस फसल को लगाते जरूर हैं।
मार्केट में इस समय अदरक की कीमत 5,000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास है, जबकि खुले बाजार में यह 10,000 रुपए प्रति क्विंटल से भी ज्यादा दाम पर बिकता है। हालांकि गिरते दाम, न्यूनतम समर्थन मूल्य तय न होने और सड़न रोग जैसी समस्याओं के कारण धीरे-धीरे किसानों का इसकी खेती से मोहभंग हुआ है, इसके बावजूद आज भी 1,800 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर इसकी खेती हो रही है।
कृषि उपनिदेशक सिरमौर डॉ. राजकुमार ने बताया कि इस बार बारिश के चलते अदरक की खेती रोगग्रस्त हुई है। राइजोम रोट नामक रोग ने कई जगह फसल को बर्बाद किया है। विभाग ने 25 फीसदी नुकसान आंका है। उच्चाधिकारियों को इसकी रिपोर्ट भेज दी है। करीब 24.50 करोड़ रुपए के अदरक को नुकसान हुआ है।






