मकर संक्रांति पर मंदिरों में उमड़ी आस्था, हुए हवन यज्ञ, जानिए क्या है धार्मिक महत्व

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नाहन|
जिला सिरमौर में मकर संक्रांति का पर्व मंगलवार को बड़ी ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान मंदिरों में विशेष रौनक देखने को मिली. जिला मुख्यालय नाहन के रानीताल, कालीस्तान मंदिर, शिव मंदिर पौड़ीवाला, महामाया बालासुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर, श्री रेणुका जी तीर्थ, महर्षि जमदग्नि ऋषि की तपोस्थली तपे का टीला, हरिपुरधार के प्रसिद्ध मां भंगायनी मंदिर, कोलर स्थित कटासन मंदिर और जमटा में मां बाला सुंदरी मंदिर में श्रद्धालुओं ने शीश नवाया. इन मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इसके साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग अपने अपने कुल देवी और देवता के मंदिरों में फसलों के साथ साथ आटे और गुड़ की भेंट लेकर पहुंचे.

मकर संक्रांति पर मंदिरों में उमड़ी आस्था, हुए हवन यज्ञ, जानिए क्या है धार्मिक महत्व
सिरमौर के श्री रेणुकाजी तीर्थ में हवन यज्ञ.

दरअसल, मकर संक्रांति के दिन दान और पुण्य कर्म करने की सदियों पुरानी परंपरा है. श्रद्धालुओं ने नए अनाज के साथ साथ आटे, गुड़, तिल, शुद्ध घी, मूंगफली, रेवड़ी, गजक और उड़द की खिचड़ी भेंट कर सुखमय जीवन की कामना की. इस दौरान मंदिरों में हवन यज्ञ और भंडारों का भी आयोजन हुआ.

मकर संक्रांति पर मंदिरों में उमड़ी आस्था, हुए हवन यज्ञ, जानिए क्या है धार्मिक महत्व
नाहन में कालीस्थान तालाब के समीप हनुमान मंदिर में प्रसाद ग्रहण करते श्रद्धालु.

उधर, कोटला मोलर स्थित गणेश देवता मंदिर, दीद बगड़ में मां नगरकोटी मंदिर, शिरगुल देवता मंदिर, बढ़ोल के माता बिजाई मंदिर, पंजाह के कुचियाट मंदिर, नैनीधार के शिव मंदिर, द्राबिल के महासू मंदिर, नौहराधार के गेलियों के शिरगुल मंदिर में दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इस दौरान कई मंदिरों में हवन यज्ञ हुए और भंडारों का आयोजन भी किया गया. उधर, श्री रेणुकाजी झील में श्रद्धालुओं ने शाही स्नान भी किया. ये सिलसिला ब्रह्म मुहूर्त से लेकर दिनभर जारी रहा.

ये है धार्मिक महत्व
बता दें कि इस पर्व का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्योदय के समय पूजा और ध्यान करना, नदियों में स्नान करना और तिल-गुड़ खाकर अच्छे कार्यों की शुरुआत करना आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति को शुद्ध और ऊंचा बनाता है. मकर संक्रांति पर सूर्य देव की उपासना करने का महत्व वेदों और पुराणों में बताया गया है. सूर्य ऊर्जा, प्रकाश और जीवन के स्रोत हैं.
यह दिन सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि इसका संबंध विज्ञान, कृषि और सामाजिक जीवन से भी है। मकर संक्रांति को नई ऊर्जा, नई फसल, और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. साथ ही, इस दिन खिचड़ी बनाने और दान करने की परंपरा भी विशेष महत्व रखती है.