सिरमौर का रामा गांव, यहां भगवान श्रीराम रुके थे कुछ पल, हनुमान जी ने जपा राम नाम, जानें क्या है इतिहास

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नाहन : जिला सिरमौर के विकास खंड नाहन की रामाधौन पंचायत का रामा गांव. जिला मुख्यालय नाहन से दूरी करीब 22 किलोमीटर. इस गांव के साथ सटा है राम वन. राम वन की चोटी पर है श्रीराम का भव्य मंदिर, जहां इन दिनों नवरात्रि पर राम कथा का आयोजन हो रहा है. कथा का समापन रामनवमीं को होगा.

इस भव्य राम कथा का आयोजन श्रीराम मंदिर समिति रामा के द्वारा किया जा रहा है. कथावाचक आचार्य विजय शर्मा, पंडित सुमेर शर्मा और उनके सहयोगी आचार्य राम की महिमा का गुणगान कर श्रद्धालुओं को रसपान करवा रहे हैं.

श्री राम मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित पंचराम शर्मा ने बताया कि यहां राम वन की चोटी पर पहले हनुमान जी का छोटा सा मंदिर हुआ करता था. जब भगवान श्रीराम त्रेयता युग में बनवास के दौरान यहां कुछ समय रुके थे तो हनुमान जी इसी स्थान पर बैठकर राम नाम का जाप किया करते थे.

कालांतर में इस मंदिर में भगवान राम परिवार की मूर्ति स्थापना करने के बाद इसे राम मंदिर का नाम दिया गया. मंदिर से ठीक नीचे जहां आज स्कूल ग्राउंड बना हुआ है वहां कभी एक विशाल तालाब हुआ करता था.

भगवान श्री राम जी ने इसी तालाब के साथ लगते स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान भोलेनाथ की आराधना की थी. भूगर्भीय गतिविधियों के चलते न केवल शिवलिंग बल्कि उस दौरान बनाया गया मंदिर भी यहां जमींदज हो गया था.

उन्होंने बताया कि बाद में यह शिवलिंग स्वयंभू रूप से खुद प्रकट हुआ था. इस स्थान पर न केवल शिवलिंग बल्कि प्राचीन मंदिर का खंडित कीर्ति स्तंभ आज भी देखा जा सकता है.

बताया जाता है कि एक बार इसी गांव के एक निर्धन ब्राह्मण की इच्छा हुई कि भगवान श्री राम जी की जन्मभूमि अयोध्या जाया जाए. निर्धनता के कारण वह अयोध्या जाने में असमर्थ था. उसी दौरान श्री रेणुका जी से एक महान तपस्वी सिद्ध महात्मा ब्राह्मण के घर से होकर गुजर रहे थे.

ब्राह्मण की चिंता देख महात्मा ने चिंता का कारण पूछा. ब्राह्मण ने जब अपनी चिंता का कारण बताया तो महात्मा ने उसे बताया कि जिस स्थान पर तुम रहते हो यह तो प्रत्यक्ष रूप से छोटी अयोध्या है.

महात्मा ने कहा कि तुम सामने दिख रहे मंदिर में जाकर अपनी इच्छा पूरी कर सकते हो. बताया जाता है कि ब्राह्मण को उसी रात भगवान श्री राम जी ने प्रत्यक्ष रूप से दर्शन भी दिए थे.

यह पूरा गांव महर्षि वशिष्ठ की गोत्रावली का ब्राह्मण बाहुल वाला है। पंडित अनिल रमौल, पंडित संदीप रमौल का कहना है कि इस राम मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है.

उन्होंने बताया कि इस ख्याति की मुख्य वजह यह है कि जब भी किसी भी श्रद्धालु ने सच्चे मन से अपने कष्ट अथवा मनोकामना की अर्जी भगवान राम जी के नाम लिखकर हनुमान जी के चरणों में रखी है तो निश्चित ही उसकी कामना पूर्ण होती है.

पंडित सीताराम शर्मा, पंडित दयानंद, पंडित बीडी शर्मा ने बताया कि मंदिर में आज भी रोट, लंगोट और कड़ाही का प्रसाद लगाया जाता है तो वहीं श्रद्धालु हर वर्ष मंदिर में रामनवमी के उपलक्ष पर बड़ी भव्यता के साथ राम कथा और भंडारे का आयोजन करते हैं.