शिमला/नाहन : हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी चूड़धार यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं से अब ईको डेवलपमेंट शुल्क नहीं वसूला जाएगा। इसको लेकर वन विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। बता दें कि यात्रा पर लगाए गए शुल्क को लेकर विभाग की काफी किरकिरी हो रही थी।
दरअसल, श्रद्धालुओं में इस फैसले को लेकर लगातार रोष बढ़ता जा रहा था। वहीं ये मामला सरकार के समक्ष भी पहुंचा तो विपक्ष ने भी इसे हाथों हाथ लेकर मुद्दा बनाया। इस शुल्क को लेकर विभाग को चौतरफा विरोध का सामना करना पड़ रहा था।
लिहाजा, बढ़ते रोष के बीच हिमाचल प्रदेश वन विभाग की ओर से 27 मई को जारी आदेश में चूड़धार वन्यजीव अभ्यारण्य में आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों से उपयोगकर्ता शुल्क लेने पर रोक लगा दी गई है। माना जा रहा है कि विभाग ने ये निर्णय विभिन्न हित धारकों, धार्मिक संगठनों और स्थानीय लोगों की मांग पर लिया है।
बता दें कि समुद्र तल से 11965 फीट की ऊंचाई पर स्थित चूड़धार चोटी पर विराजमान शिरगुल महाराज जिला सिरमौर, शिमला, सोलन व उत्तराखंड के लाखों श्रद्धालुओं के आराध्य देव हैं। इसके अलावा हरियाणा, पंजाब, दिल्ली आदि राज्यों से भी यहां श्रद्धालु और पर्यटक भारी संख्या में पहुंचते हैं।
पिछले 27 दिनों से चूड़धार यात्रा पर जाने वाले यात्रियों से वसूले जा रहे ईको डेवलपमेंट शुल्क को लेकर लोगों का विरोध लगातार जारी था। यही नहीं नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसे मुगल काल में लिए जाने वाले जजिया कर की संज्ञा दे डाली थी। तूल पकड़ा देख स्वयं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी सफाई देनी पड़ी थी।
उधर, चूड़धार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी एरिया के रेंज ऑफिसर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि वाइल्ड लाइफ डिवीजन शिमला से डीएफओ के आदेश मिलने के बाद तत्काल प्रभाव से ईको डेवलपमेंट शुल्क लेने पर रोक लगा दी गई है।