सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किसान सभा ने किया स्वागत, अब 19 जनवरी को सचिवालय कूच की तैयारी

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शिमला : हिमाचल प्रदेश किसान सभा, सेब उत्पादक संघ और लघु एवं सीमांत किसानों ने वन भूमि से बेदखली के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए हालिया निर्णय का पुरजोर स्वागत किया है। हिमाचल किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए आगामी 19 जनवरी को शिमला के पंचायत भवन से सचिवालय तक एक विशाल पैदल मार्च निकाला जाएगा।

डॉ. तंवर ने प्रदेश सरकार से मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप तुरंत एक ठोस नीति बनाई जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार नई नीति तैयार नहीं कर लेती, तब तक किसी भी गरीब और सीमांत किसान को उजाड़ा न जाए। डॉ. तंवर ने हैरानी जताते हुए कहा कि पूर्व में सरकारों द्वारा अदालतों में छोटे किसानों के पक्ष की प्रभावी पैरवी न होने के कारण ही हजारों किसानों पर बेदखली का खतरा मंडराता रहा और कई बागानों पर कुल्हाड़ी चला दी गई।

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किसान सभा ने चिंता व्यक्त की है कि यदि वन भूमि पर बने गरीबों के घरों और गौशालाओं पर प्रशासन ने सख्ती की, तो यह वर्ग पूरी तरह बेघर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को आश्रय देना सरकार का संवैधानिक दायित्व है। 1952 की अधिसूचना और 1980 के वन संरक्षण अधिनियम के चलते उपजी विसंगतियों का समाधान निकालना अब अनिवार्य हो गया है।

डॉ. तंवर ने कहा कि किसान सभा विशेष रूप से उन गरीब, दलित और विधवा परिवारों के हक की लड़ाई लड़ रही है जिनकी आजीविका मात्र 4-5 बीघा भूमि पर टिकी है। इसी वर्ग को राहत दिलाने के लिए किसान सभा ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसके बाद अब उन्हें न्याय की उम्मीद जगी है। उन्होंने प्रदेश सरकार से इस गंभीर मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाकर स्थाई समाधान निकालने का आग्रह किया है।

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