नाहन : कृष्णा देवी… एक ऐसा नाम जो प्रगतिशील किसान के तौर पर उनकी पहचान बना. संघर्ष ही जीवन है, जो हर किसी की जिंदगी में बार बार आते हैं और जाते हैं, लेकिन इस महिला का संघर्ष अपनी पहचान बनाने तक ही सीमित नहीं है.
ये संघर्ष है उनकी परिवारिक जिम्मेदारियों का. कैंसर जैसे रोग से ग्रस्त होने के बावजूद उसे हराने का और संघर्ष है उस जीवन का जब छोटी उम्र में अपने बीमार पिता के दवा इलाज का जिम्मा उठाया, लेकिन फिर भी सिर पर पिता का साया नहीं रहा. बस घर में अपनी बूढ़ी मां की देखभाल और सेवा ही उनका मकसद बन गया. शादी के बाद वह पति के साथ अपने मायके में ही रहीं. करीब 2 साल पहले उनकी मां भी स्वर्ग सिधार गईं.

कृष्णा देवी का नाम इस वजह से चर्चा में आया जब उन्हें हाल ही में कृषि के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए गोल्ड मेडल से नवाजा गया. इटरनल यूनिवर्सिटी बड़ू साहिब में आयोजित किसान मेले में उनके जीवन के संघर्ष और प्रगतिशील कृषक के तौर पर उनकी कहानी भी सार्वजनिक हुई.
कृष्णा देवी जिला सिरमौर के सैनधार इलाके की नेहर सवार पंचायत से संबंध रखती हैं, जिन्होंने कैंसर रोग से लड़ते हुए भी कभी जीवन से हार नहीं मानी, बल्कि वह अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बनकर उभरीं. किसान मेले के दौरान वाणिज्यिक खेती और डेयरी में उत्कृष्ट कार्यों के लिए गोल्ड मेडल के साथ 10 हजार रुपये के नकद पुरस्कार से नवाजा गया. उन्हें पद्मश्री जगजीत सिंह हारा मेमोरियल प्रशंसा प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया.
बता दें कि कृष्णा देवी ने इलाके में एक प्रगतिशील किसान के तौर पर अपनी पहचान बनाई है. वह कैंसर जैसे रोग से ग्रस्त हुईं, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने साहस और धैर्य का परिचय बखूबी दिया. कैंसर जैसे रोग को हराकर अब वह आम लोगों की तरह जीवन जी रहीं हैं, जो क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ी मिसाल बनीं हैं.
5 फरवरी 1981 को जिला सिरमौर की नेहर सवार पंचायत के नहर गांव में जन्मीं से कृष्णा देवी ने वर्ष 1996 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की. महेंद्र सिंह से उनका विवाह हुआ. विवाह के बाद अपनी मां की देखभाल के साथ साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद उन्होंने बच्चों के साथ अपनी शिक्षा भी जारी रखी और सफलतापूर्वक सीनियर सेकेंडरी की परीक्षा उत्तीर्ण की.
वर्ष 2016 में वह कैंसर से ग्रसित हुईं. वह आज भी उपचाररत रहते हुए धैर्य के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं. वह 6 सदस्यों वाले संयुक्त परिवार में रह रहीं हैं, जिसमें उनके पति, दो पुत्र, एक बहू और एक पौत्र शामिल हैं.
कृष्णा देवी एक प्रगतिशील कृषक और अपने गांव की 4 स्वयं सहायता समूहों की सशक्त नेत्री भी हैं. उन्होंने अपने नेतृत्व में जरूरतमंद समूह सदस्यों को बैंकों से वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई, जिससे उन्हें विभिन्न उत्पादक गतिविधियों को प्रारंभ करने में सहायता मिली. उन्होंने अपनी पंचायत में 200 से अधिक व्यक्तियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण भी उपलब्ध करवाया.
इनके पास 20 बीघा कृषि योग्य भूमि है, जिस पर उन्होंने एक वर्मी कंपोस्ट यूनिट, पानी का टैंक, पंपिंग सेट, पावर वीडर, मक्का शेलर, बुश कटर, चारा कटर, दूध निकालने की मशीन और दो पावर टिलर जैसे कृषि उपकरण स्थापित किए हैं. वह साहीवाल और जर्सी नस्ल की 5 गायों का पालन करती हैं, जिनसे प्रतिदिन 35-40 लीटर दूध प्राप्त होता है.
उनके पास एक बकरी भी है. अब तक वह 25 साहीवाल बछियों का पालन-पोषण कर उन्हें समीपवर्ती पशुपालकों को बेच चुकी है, जिससे उन्हें वार्षिक 1 लाख रुपये की आय अर्जित हुई.
फसलों में वह मक्का, मडुआ (रागी), सरसों और बरसीम चारा उगाती हैं. इसके अतिरिक्त वह टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च, हरी मटर जैसी सब्जियों के साथ साथ लहसुन, मैथी, धनिया और हल्दी जैसे मसालों की खेती भी करती हैं. उन्होंने वर्ष 2013-14 में अपने गांव में गेंदे के फूल की खेती की शुरुआत कर एक प्रेरणादायक पहल की. वह चंदन के पौधे भी लगा चुकी हैं.
उन्होंने शून्य बजट प्राकृतिक खेती, पशुपालन, मशरूम उत्पादन और एनपीपीएस प्रशिक्षण जैसे विषयों में केवीके धौलाकुआं और डीडीए कार्यालय नाहन से प्रशिक्षण प्राप्त किया.
नेहर सवार पंचायत उपप्रधान देशराज ठाकुर, पूर्व उपप्रधान सुरेश शर्मा, सेवानिवृत्त भाषा अध्यापक हरिंद्र शर्मा, सेवानिवृत्त सूबेदार केएन शर्मा, पूर्व उपप्रधान राजेंद्र ठाकुर आदि ने बताया कि कृष्णा देवी के जीवन का संघर्ष किसी से छिपा नहीं है. कृषि क्षेत्र में इनके योगदान और महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए गए कार्य बेहद सराहनीय हैं. उनके नेतृत्व, नवाचार और समर्पण ने उनके गांव और आसपास के क्षेत्रों की कृषि उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. वह क्षेत्र के लिए बड़ी मिसाल हैं.