शुक्र है इस फर्जी डाक्टर ने हिमाचल में नहीं की कोई सर्जरी, वरना पैदा होते MP जैसे हालात, जानिए क्या है कनेक्शन, ये भी बड़ा सवाल

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नाहन : भगवान का शुक्र है कि देशभर में चर्चित फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एनजॉन कैम ने हिमाचल प्रदेश में कोई हार्ट सर्जरी नहीं की, वरना मध्यप्रदेश के दमोह में सामने आए हालात यहां भी पैदा हो सकते थे.

चूंकि, इस फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव के तार हिमाचल प्रदेश से भी जुड़े हैं. ये आरोपी फर्जी डॉक्टर जिला सिरमौर के एक नामी निजी अस्पताल में भी करीब डेढ़ माह अपनी सेवाएं दे चुका है. लिहाजा लंदन वाले इस फर्जी डाक्टर के कारनामों की चर्चा जिला सिरमौर में भी हो रही है.

दरअसल, देशभर में भूचाल लाने वाले इस फर्जी डाक्टर के मामले में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग ने यहां ऐसे फर्जी डाक्टर की जांच पड़ताल क्यों नहीं की? अब जब मध्य प्रदेश के दमोह में हार्ट सर्जरी के बाद 7 लोगों की मौत हो गई और इस फर्जी डाक्टर के तार सिरमौर से भी जुड़े, तो हेल्थ डिपार्टमेंट की नींद टूटी.

डेढ़ साल पहले जिला में दे चुका सेवाएं
दरअसल फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव जिला सिरमौर के पांवटा साहिब और नाहन में बतौर कथित हार्ट सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे चुका है. करीब डेढ़ साल पहले ये फर्जी डाक्टर पांवटा साहिब के एक निजी अस्पताल में कार्यरत था. बताया जा रहा है कि नाहन के निजी अस्पताल में भी वह कई बार बाह्य रोगी विभाग में हार्ट के मरीजों की जांच करता था. ये दोनों ही अस्पताल एक ही ब्रांच के हैं.

संदेहास्पद सेवाओं के चलते नौकरी से निकाला
बताया जा रहा है कि नाहन से एंजियोग्राफी और ईको टेस्ट के लिए मरीज पांवटा साहिब ही जाते थे, लेकिन इस बीच कई मरीजों की रिपोर्ट में भी कई तरह के सवाल उठते थे. ऐसे में निजी अस्पताल प्रबंधन ने भी इस पर कड़ा रूख लिया और अस्पताल से उसकी सेवाओं को समाप्त कर दिया.

इस वजह से यहां नहीं मिली सर्जरी की अनुमति
जानकारी के अनुसार सिरमौर में अपनी सेवाओं के दौरान ये फर्जी डाक्टर अपनी शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका. इसी कारण उसे हृदय शल्य चिकित्सा की अनुमति नहीं मिली. उसने यहां देहरादून का आधार कार्ड भी पेश किया था. खुद को इंग्लैंड से डिग्री धारक बताया था. गनीमत ये रही कि निजी अस्पताल प्रबंधन की समय रहते सतर्कता के चलते यहां एक बड़ी अनहोनी होने से टल गई.

ये पूरा मामला और ऐसे हुआ खुलासा
दरअसल, चंद दिनों पहले मध्य प्रदेश के दमोह जिला में बिना अनुमति हृदय शल्य चिकित्सा में 7 मरीजों की मौत हो गई, जिसके बाद से ही ये मामला देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. सर्जरी के बाद इन मरीजों की मौत का आरोप फर्जी डाक्टर नरेंद्र यादव पर लगा है, जिसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने आरोपी को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार किया.

बताया जा रहा है कि दमोह के मिशन अस्पताल में उसे भोपाल की एक एजेंसी द्वारा 8 लाख रुपये मासिक वेतन पर नियुक्त किया गया था. उसकी डिग्रियों में भारी गड़बड़ी सामने आई है. दावा किया गया था कि उसने 1996 में एमबीबीएस और 2001 में हृदय रोग में विशेषज्ञता प्राप्त की है, लेकिन इनकी पुष्टि नहीं हो पाई.

स्वास्थ्य विभाग के लिए मामला गंभीर
हिमाचल प्रदेश में भी स्वास्थ्य विभाग के लिए ये एक गंभीर चेतावनी है कि भविष्य में इस तरह की नियुक्तियों में पूरी सतर्कता बरती जाए. इस पूरे मामले ने न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है, बल्कि यह भी उजागर किया है कि फर्जी चिकित्सक किस तरह छोटे शहरों और कस्बों में अपनी पहचान छिपाकर काम कर रहे हैं.

बहरहाल, पांवटा साहिब और नाहन में इस तरह के फर्जी डाक्टर की सक्रियता कहीं न कहीं हेल्थ डिपार्टमेंट की बड़ी चूक को भी दर्शाता है. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पताल प्रबंधन के लिए यह बेहद जरूरी हो जाता है कि किसी भी डॉक्टर की नियुक्ति से पहले उसकी शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और प्रमाण पत्रों की गहराई से जांच की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और आम जनता की जान को जोखिम में डालने से बचाया जा सके.

अलर्ट मोड पर आया हेल्थ डिपार्टमेंट
जिला सिरमौर में हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट मोड पर आया है. वर्तमान में जिला में 13 निजी अस्पताल, 2 नर्सिंग होम और 25 क्लीनिक और डायग्नोस्टिक सैंटर कार्यरत हैं. लिहाजा, स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला के सभी निजी अस्पतालों को आदेश जारी किए जा रहे हैं कि किसी भी डाक्टर को तैनात करने से पहले उसके दस्तावेजों, हिमाचल में रजिस्ट्रेशन नंबर सहित संबंधित व्यक्ति की समस्त डिटेल की गहनता से जांच की जाए, ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृति न हो.

क्या कहते हैं सीएमओ?
उधर, फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव के संदर्भ में सीएमओ सिरमौर डा. अमिताभ जैन ने कहा कि फिलहाल मामला उनके संज्ञान में नहीं है, लेकिन इस संबंध में जिला के संबंधित निजी अस्पताल से विस्तृत जानकारी मांगी जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि जिला के समस्त निजी अस्पतालों को आदेश जारी किए जा रहे हैं कि अस्पतालों में डाक्टर की तैनाती से पूर्व उसके दस्तावेजों सहित अन्य डिटेल की गहनता से जांच पड़ताल की जाए. किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी.

अस्पताल में कोई सर्जरी नहीं की : डा. बेदी
उधर, श्री साई अस्पताल के प्रबंध निदेशक डा. दिनेश बेदी ने कहा कि उक्त व्यक्ति ने यूके की डिग्री प्रस्तुत की थी, लेकिन जांच के दौरान उसमें कुछ संदेहास्पद बातें सामने आई थी. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के नियमों के मुताबिक यह व्यक्ति यहां प्रैक्टिस नहीं कर सकता था. लिहाजा, प्रबंधन ने उसे तत्काल नौकरी से निकाल दिया. डा. बेदी ने स्पष्ट किया कि मध्य प्रदेश के दमोह में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति ने यहां अस्पताल में कोई भी सर्जरी नहीं की गई थी. उक्त व्यक्ति यहां अपनी शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज पेश नहीं कर पाया था.