नाहन|
जिला सिरमौर भाजपा की कमान एक बार फिर बनिया (वैश्य) समाज को सौंपी गई है. पांवटा साहिब से ताल्लुक रखने वाले धीरज गुप्ता को पार्टी का नया जिलाध्यक्ष बनाया गया है. रविवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल सहित जिला के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में नए जिलाध्यक्ष की घोषणा की गई.
बता दें कि इससे पहले भी जिला भाजपा की कमान वैश्य समाज से ताल्लुक रखने वाले विनय गुप्ता के पास थी. वह लगातार दूसरी बार जिलाध्यक्ष बनाए गए थे. अब एक बार फिर इसी समाज को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बताया जा रहा है कि नवनियुक्त अध्यक्ष को आरएसएस के करीबी होने के चलते यह दायित्व सौंपा गया है.
उधर, अंदरखाते अन्य बिरादरी से जुड़े कुछ नेताओं सहित कार्यकर्ता एक विशेष बिरादरी से ही लगातार तीसरी बार जिलाध्यक्ष की तैनाती से नाखुश बताए जा रहे हैं. कईयों ने तो दबी जुबान में इस चुनाव पर सवाल उठाते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की है. सवाल उठ रहे कि चुनाव कमेटी के समक्ष केवल एक ही नॉमिनेशन क्यों फाइल करवाया गया? क्या जिला में संबंधित बिरादरी के अलावा कोई और बिरादरी जिला में संगठन चलाने में काबिल नहीं है? एक के बाद एक लगातार तीसरी बार इसी बिरादरी को तवज्जो दी गई.
सूत्रों की मानें तो जिस व्यक्ति को जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी गई है, वह सिर्फ आरएसएस गतिविधियों में ही शामिल रहे हैं. जबकि पार्टी से संबंधित बैठकों और कार्यक्रमों में भी कुछ ही समय से सक्रिय हुए हैं. वहीं, अन्य बिरादरियों में ऐसे बहुत से नेता और कार्यकर्ता हैं, जो लंबे अरसे से पार्टी के लिए कार्य कर रहे हैं. बड़ी चर्चा ये है कि नवनियुक्त जिला अध्यक्ष को अपने ही गृह निर्वाचन क्षेत्र में भी बहुत ही कम लोग जानते हैं.
ऐसे में वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की राहें आसान होंगी या फिर मुश्किलों से भरी. ये तो आने वाला समय ही बताएगा. उधर अन्य बिरादरी से जुड़े कार्यकर्ताओं सहित राजनीतिक गलियारों में भी इस बात पर बड़ी चर्चा हो रही है कि जिस बिरादरी का जिला के भीतर 6,000 से अधिक वोट बैंक नहीं है, उस समाज से जुड़े व्यक्ति को किस आधार पर जिला में पार्टी की कमान सौंपी गई.
हालांकि, पूर्व में जिलाध्यक्ष विनय गुप्ता को लेकर कार्यकर्ताओं का कहना है कि विनय गुप्ता संगठन बोर्न नेता हैं, जिन्होंने पार्टी के प्रति अपनी पूरी उम्र को लगा दिया. साथ ही उन्हें संगठन चलाने का भी लंबा अनुभव है. बावजूद इसके विनय गुप्ता जैसे किसी पार्टी के अनुभवी अन्य नेता या कार्यकर्ता को यह दायित्व सौंपा जाता तो इससे संगठन को 2027 के लिए अधिक मजबूती मिलती.
बता दें कि जिला में सबसे ज्यादा वोट बैंक राजपूत, ब्राह्मण और एससी बिरादरी का है जो हार-जीत में अपनी अहम भूमिका निभाता है. ब्राह्मण समाज वैसे भी लंबे समय से पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के कथित गुट से नाराज चल रहा है. जिला में श्री रेणुकाजी विधानसभा सीट भाजपा के लिए हमेशा चुनौती रही है. माना जा रहा है कि ऐसे में ब्राह्मण, एससी और राजपूत समाज की अनदेखी कहीं न कहीं पार्टी के लिए आगामी चुनाव में मुश्किलें भी खड़ी कर सकती है.
राजनीति से जुड़े जानकारों की मानें तो भाजपा के सामने जिला में और भी बड़े अच्छे विकल्प थे, लेकिन बावजूद इसके इन विकल्पों पर विचार करना तो दूर, चुनाव में केवल एक ही नॉमिनेशन फाइल करवा इन विकल्पों को कहीं भी ठहरने नहीं दिया गया. जानकारों का यह भी मानना है कि अब जब जिला में भाजपा के अपने ही खेमों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है, तो इसका असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है. हालांकि ये समय ही बताएगा कि पार्टी का यह निर्णय संगठन को मजबूत बनाएगा या फिर ये आने वाले समय में पार्टी में अंदर खाते बगावत की चिंगारी को हवा देना में अपनी भूमिका निभाएगा. कहीं न कहीं इस ताजपोशी से जिला में कांग्रेस पार्टी की बांछे भी खिल गई हैं.