नाहन|
हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में करीब 6 लाख लोगों के हार्ट का कोई भी रखवाला नहीं है. लिहाजा यहां लोगों के हार्ट रामभरोसे हैं. यदि किसी को हार्ट संबंधी बीमारी हो तो उन्हें मजबूरन बाहरी राज्यों में ही इलाज के लिए जाना पड़ेगा. बावजूद इसके सरकार के यहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे हवा में तैर रहे हैं.
बता दें कि हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार का ये गृह जिला है, जिनके नाम पर अकसर राजनीतिक दल अपनी राजनीति की रोटियां सेंकते हैं. पूरे जिला सिरमौर में एक भी हार्ट सर्जन (हृदय रोग विशेषज्ञ) नहीं है. हैरानी इस बात की है कि जिला का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान डा. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नाहन भी इससे अछूता है.
दरअसल, वर्ष 2016 में जिला मुख्यालय नाहन में मेडिकल कॉलेज की शुरूआत हुई. करीब 8-9 वर्षों बाद भी अब तक न तो यहां कैथ लैब शुरू हो पाई और न ही यहां कार्डियोलॉजी विभाग स्थापित हो सका. स्वास्थ्य क्षेत्र के जानकारों की मानें तो नियमों के मुताबिक किसी भी मेडिकल कॉलेज में तीन वर्षों के भीतर कार्डियोलॉजी विभाग स्थापित किया जाना चाहिए, लेकिन नाहन में अब तक ऐसा नहीं हो पाया.
लंबे अरसे से प्रबंधन कैथ लैब शुरू न होने का कारण जगह की कमी का होना बताता आ रहा है. मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा न मिलने से हार्ट के मरीजों को अपने ईलाज के लिए बाहरी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ रहा है. हार्ट की छोटी से लेकर बड़ी बीमारी से ग्रस्त मरीज चंडीगढ़, उत्तराखंड, दिल्ली व हरियाणा सहित शिमला में भारी भरकम राशि खर्च कर अपना ईलाज करवाने को मजबूर हैं.
क्या होती है कैथ लैब?
कैथ लैब हार्ट से जुड़ी बीमारियों की जांच व उपचार का केंद्र होता है. मरीजों को ईको (अल्ट्रासाउंड), टीएमटी (हार्ट की असामान्य गति की पहचान के लिए परीक्षण एंजियोग्राफी), सिंगल स्टेंट के साथ बैलून कोरोनरी एंजियोग्राफी की सुविधा उपलब्ध होती है. लैब में आमतौर पर एक बहु-विषयक टीम होती है. इसमें एक मेडिकल प्रैक्टिशनर (आमतौर पर या तो कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट या रेडियोलॉजिस्ट), कार्डियक फिजियोलॉजिस्ट, रेडियोग्राफर और नर्स शामिल होते हैं. अब नाहन में लैब ही नहीं बनी तो स्टाफ की नियुक्ति तो दूर की बात है.
महज घोषणाओं तक सिमटी सरकारें
बता दें कि 2019 बजट सत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मेडिकल कॉलेज में कैथ लैब की घोषणा की. फिर 2022 चुनावी वर्ष में भी सरकार ने दोबारा से यहां कैथ लैब की घोषणा कर डाली. दो-दो बार घोषणा के बावजूद भी पूर्व भाजपा सरकार 5 वर्षों में यहां कैथ लैब की सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पाई. इसके बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ, लेकिन सुक्खू सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल में भी अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.
क्या कहते हैं हार्ट मरीज
पच्छाद तहसील के टिक्कर गांव के निवासी रतन सिंह पुंडीर हार्ट के पेशेंट हैं. रतन सिंह पुंडीर के सपुत्र राजन पुंडीर बताते हैं कि जिला में हार्ट सर्जन न होने के कारण वह अपने पिता को पिछले 15 वर्षों से ईलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ ले जा रहे हैं. मेडिकल कॉलेज खुले वर्षों बीत चुके हैं, लेकिन अब तक यहां कैथ लैब शुरू नहीं हो सकी. उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द हार्ट के मरीजों को भी नाहन में सुविधा उपलब्ध करवाई जाए.
पहले दिल्ली और अब लखनऊ से ईलाज
उधर, नाहन निवासी सीता देवी ने बताया कि वह पिछले करीब 12 वर्षों से हार्ट की पेशेंट हैं. जिला में हार्ट सर्जन न होने के कारण उन्होंने पहले दिल्ली एम्स से ईलाज करवाया. दिल्ली में ही उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी. वर्षों तक यही से ईलाज करवाया गया. अब चूंकि बेटा लखनऊ में सेटल है, लिहाजा अब उनका ईलाज लखनऊ से ही चल रहा है. यदि नाहन मेडिकल कॉलेज में हार्ट मरीजों के लिए सुविधा उपलब्ध होती तो उन्हें बाहरी राज्यों में ईलाज के लिए नहीं जाना पड़ता. हिमाचल सरकार यह सुविधा नाहन में शुरू करवाए.
क्या कहते हैं वरिष्ठ चिकित्सक
उधर, मेडिकल कॉलेज नाहन के एसएस डॉ. अमिताभ जैन ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में जगह की कमी के कारण यहां कैथ लैब और कार्डियोलॉजी विभाग शुरू नहीं किया जा सका है. जगह उपलब्ध होते ही इस दिशा में उचित कदम उठाए जाएंगे.
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