नाहन|
हालांकि, मेडिकल कालेज नाहन के विस्तार की कवायद के बीच जिला अस्पताल के पुराने स्वरूप में लौटने की उम्मीद भी प्रशस्त होने लगी है. सिरमौर को जितनी अधिक जरूरत मेडिकल कालेज की है, उससे कहीं अधिक आवश्यकता बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की भी है. लेकिन, वर्तमान में निर्माणाधीन कालेज न केवल मौजूदा समय, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के पहाड़ पर खड़ा है. लिहाजा, मेडिकल कालेज के विस्तार की योजना तैयार की गई है.
- फेसबुक पेज से जुड़िए :
https://www.facebook.com/aapkibaatnewsnetwork
व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़िए :
https://chat.whatsapp.com/Bt5i2xDZdHIJRSRE3FkG4m
इसके मुताबिक मेडिकल कालेज के भवन के लिए डेढ़ से दो किलोमीटर दूर कांशीवाला में जमीन फाइनल कर ली गई है. यदि सब ठीक रहा तो मौजूदा समय में चल रहे जिला अस्पताल का अस्तित्व फिर से लौट सकता है.
दरअसल, 2016 में नाहन को मेडिकल कालेज का दर्जा मिला. इसे चलाने के लिए जिला अस्पताल को ही इसमें मर्ज कर दिया गया. यहां आज तक न तो मेडिकल कालेज का भवन तैयार हो पाया और न ही व्यवस्थाओं में बड़ा सुधार हो सका है. पिछले 2 साल से भी अधिक समय से इसका निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है.
कई साल बीत चुके हैं, अब तक सारी व्यवस्थाएं पुराने जिला अस्पताल में ही चल रही हैं. नतीजतन यहां न तो मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो पा रही हैं और न ही मेडिकल कालेज के स्टाफ और छात्रों को. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि यहां मेडिकल कालेज का विस्तार सरकार के लिए गले की फांस बना हुआ है.
नियमों के मुताबिक मेडिकल कालेज में जो विभाग काफी समय पहले शुरू हो जाने चाहिए थे, वो अब तक धरातल पर नहीं उतरे. जानकारों की मानें तो नियमानुसार किसी भी मेडिकल कॉलेज में 3 साल के भीतर कार्डियोलॉजी विभाग स्थापित किया जाना चाहिए, लेकिन नाहन में ऐसा नहीं हुआ. कैथ लैब भी आज तक शुरू नहीं हो पाई है. ऐसे में हार्ट के मरीज आज भी बाहरी राज्यों के धक्के खाने को मजबूर हैं.
मेडिकल कालेज वाले दूसरे जिलों में ये व्यवस्था
राजधानी शिमला में जिला अस्पताल रिपन आज भी चल रहा है. यहां पर आईजीएमसी जैसा बड़ा संस्थान अस्पताल से अलग है. इसके साथ साथ यहां पर कमला नेहरू अस्पताल भी संचालित है, जो प्रदेश का सबसे बड़ा मातृ-शिशु अस्पताल है. इसके साथ साथ आईजीएमसी शिमला के विस्तारीकरण के लिए जगह उपलब्ध न होने के कारण सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक 17-18 किलोमीटर दूर बनाया गया है. यही नहीं हमीरपुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के बीच भी दूरी करीब 12 किलोमीटर है. इसी तरह चंबा में भी अस्पताल से अलग मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया गया है.
मौजूदा मेडिकल कालेज में ये सबसे बड़ी परेशानी
जहां तक मौजूदा नाहन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की बात करें तो यहां पहुंचने के लिए ट्रैफिक जाम की समस्या आम हो रही है. पार्किंग के लिए कहीं भी उपयुक्त स्थान तक नहीं है. मरीजों को यहां पहुंचाना और रेफर मरीजों को यहां से पीजीआई चंडीगढ़ और दूसरे बड़े स्वास्थ्य संस्थानों तक ले जाना भी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.
अस्पताल में मरीजों की भीड़ इतनी ज्यादा है कि नंबर लगाना मुश्किल हो रहा है. बैठने के लिए उपयुक्त स्थान तक यहां नहीं है. ओपीडी के बाहर जगह इतनी तंग है कि मरीजों का दम घुटता है. लंबे समय से मरीज और तीमारदार इन सभी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. मेडिकल कालेज के डॉक्टर, स्टाफ और एमबीबीएस कर रहे छात्र भी इन सभी दिक्कतों से दो-चार हो रहे हैं.
आखिर नाहन में मेडिकल कालेज को लेकर सियासत क्यों ?
प्रदेश के अन्य मेडिकल कालेजों पर नजर दौड़ाए तो सभी जिलों में जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज अलग अलग हैं. नाहन की बात करें तो आईजीएमसी से बड़ा सबक लेते हुए यहां सरकार और प्रशासन ने शहर के वार्ड नंबर 12 में ही मेडिकल कालेज के लिए 161 बीघा भूमि फाइनल की है. सबसे बड़ी बात ये है कि ये जमीन नेशनल हाईवे के साथ सटी है. ऐसे में यहां मेडिकल कालेज बनता है तो कैंसर अस्पताल जैसे संस्थान मिलने का रास्ता भी साफ हो जाएगा. क्योंकि नियमों के मुताबिक ये संस्थान हाईवे या फिर मुख्य सड़क के साथ सटा होना चाहिए. लेकिन, यहां भविष्य की चुनौतियों को दरकिनार कर सियायत गरमाई हुई है.
ये है भौगोलिक स्थिति
मौजूदा समय में मेडिकल कालेज वार्ड नंबर 2 में चल रहा है, जहां कभी जिला अस्पताल चलता था. यहां पहुंचने के लिए शहर के बीचोंबीच मुख्य सड़क से होकर गुजरना पड़ता है. कोई मरीज चाहे वह शिलाई और पांवटा साहिब आदि इलाके से यहां पहुंचे या फिर रेणुकाजी, संगड़ाह, पच्छाद, राजगढ़ आदि क्षेत्रों से आए, उन्हें अकसर जाम के बीच से होकर मौजूदा मेडिकल कालेज पहुंचाना पड़ता है.
इस बीच शहर के गोविंदगढ़ मोहल्ला, दिल्ली गेट, माल रोड़, कच्चा टैंक जैसे कुछ ऐसे स्थल हैं, जहां कभी भी जाम जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. कई बार एंबुलेंस को भी निकलने के लिए जगह नहीं मिलती. शहर की तंग सड़कों के साथ साथ मेडिकल कालेज को जाने वाले दोनों मार्गों पर बेतरतीब वाहनों की पार्किंग और सर्किट हाउस के लिए वीआईपी मूमेंट जाम की समस्या को और अधिक बढ़ा देती है. ऐसे बहुत सी समस्याएं हैं, जो मेडिकल कालेज पहुंचने के लिए मरीजों और उनके तीमारदारों के आड़े आती हैं. बुद्धिजीवी वर्ग की मानें तो मेडिकल कालेज के लिए कांशीवाला सबसे उपयुक्त स्थल है.
क्या कहते हैं विधायक अजय सोलंकी
विधायक अजय सोलंकी ने कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, उसके लिए सरकार, प्रशासन और वह स्वयं प्रयासरत हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर जिले में जहां मेडिकल कालेज का निर्माण हुआ है, वहां अस्पताल से अलग बनाया गया है. नाहन अस्पताल से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है. सिर्फ मेडिकल कालेज भवन के विस्तार की योजना तैयार की गई है. अस्पताल और मेडिकल कालेज अलग-अलग होंगे तो लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं भी बेहतर मिलेंगी.