HRTC का बस रूट बंद करना सिर्फ चाल, बड़ा सवाल- आखिर क्यों निजी बस संचालक घाटे का रूट लेगा?

54 वर्षों से चल रही नाहन-टोंडा-कुफ्टू बस सेवा को बंद करने पर विरोध जारी, लोगों में रोष

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नाहन : नाहन-टोंडा-कुफ्टू बस सेवा को अचानक बंद किए जाने से लोगों में नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। इस रूट को एक निजी बस संचालक को दिए पाने पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना का है कि यदि HRTC के लिए इस रूट पर बस चलाना घाटे का सौदा साबित हो रहा था तो आखिर क्यों कोई निजी बस संचालक घाटे के रूट पर बस चलाएगा।

सोशल मीडिया पर भी लोग लगातार इसका विरोध कर रहे हैं और कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। आरोप लग रहे हैं कि निगम की बस सेवा बंद करना सरकार की सिर्फ एक चाल है। जबकि, इस रूट पर निगम की बस सेवा पिछले 54 वर्ष से चलाई जा रही थी। बड़ी बात ये है कि इस रूट पर बस का शुभारंभ हिमाचल निर्माता एवं पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार ने 1971 में किया था।

निहोग क्षेत्र निवासी एवं समाजसेवी शास्त्री जियालाल शर्मा, नेहर सबार पंचायत की प्रधान अनीता देवी, पराड़ा पंचायत के उपप्रधान रामकुमार, सामाजिक कार्यकर्ता प्रीतम, कौशल चौहान, पूर्व प्रधान लानाबाका प्रतिज्ञा पाल, गवाही पंचायत की प्रधान सीमा देवी, सैर तंदुला के उपप्रधान मामराज शर्मा, भुजोंड के उप प्रधान कमलराज, छोगटाली पंचायत की प्रधान अंजना देवी, नौहराधार पंचायत के प्रधान राजेंद्र चौहान, डिंबर पंचायत की प्रधान नीलम चौहान, सामाजिक कार्यकर्ता राकेश पुंडीर, चौकर पंचायत के प्रधान शशि भूषण और हरिंदर शर्मा आदि ने बताया कि इतने लंबे समय से चली आ रही निगम की बस सेवा के प्रति लोगों का काफी लगाव और जुड़ाव था। इसे बंद किया जाना तीन निर्वाचन क्षेत्रों के जनमानस की भावनाओं का दमन करने के अलावा और कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा कि लोगों को बेहतर यातायात सुविधा से वंचित करना बेहद निंदनीय है। ये सेवा बंद किए जाने से एक ओर जहां सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सैकड़ों छात्रों को आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा सरकारी बसों में सफर करने वाले समाज के विभिन्न वर्गों को दी जाने वाली राहत से भी वंचित होना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि इस बस को बंद किए जाने के संदर्भ में विभाग द्वारा दिया गया तर्क बेहद आश्चर्यजनक है। समाजसेवी और जनप्रतिनिधियों ने कहा कि क्या कोई निजी बस मालिक घाटे पर चल रहे बस रूट को लेना चाहेगा? यह सब सरकार द्वारा अपने चहेतों को खुश करने की चाल मात्र है।

ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को यातायात की सुविधा देने के लिए सरकार द्वारा लाभ-हानि देखें बिना बसें चलाई जाती रही हैं। यदि सरकार अपनी नाकामी के कारण आर्थिक तंगी की आड़ में जन सुविधाओं को छीनने का प्रयास करेगी, तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।

लोगों ने हैरानी जताते हुए ये भी कहा कि इस बस के बंद होने पर संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के पक्ष और विपक्ष के किसी भी नेता ने इसका विरोध नहीं किया है। अपनी गाड़ियों में सफर करने वाले नेता बसों में सफर करने वाले आम लोगों की कठिनाइयों को कैसे समझ पाएंगे। ग्रामीणों ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र के लोगों की भावनाओं और समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस बस को फिर से बहाल किया जाना नितांत आवश्यक है।