नाहन : एसएफआई नाहन इकाई का 33वां सम्मेलन मंगलवार को संपन्न हुआ. इस मौके पर कामरेड ऋतिक को इकाई अध्यक्ष और शिवांगी को इकाई सचिव चुना गया. इसके साथ साथ प्रशांत, नितेश, नितिन, पलक, अंकिता को सचिवालय मंडल का सदस्य नियुक्त किया गया, जबकि 17 सदस्य कार्यकारिणी में शामिल किए गए.
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सम्मलेन का उद्घाटन करते हुए कामरेड कमल ने कहा कि जिस तरीके से मौजूदा सरकार द्वारा शिक्षा का निजीकरण, भगवाकरण व व्यापारीकरण किया जा रहा है, यह हमारी समावेशी व समता मूलक शिक्षा पद्धति के ऊपर सबसे बड़ा हमला है.
उन्होंने कहा कि हमारे देश में 2009 में शिक्षा के अधिकार को जीवन के अधिकार के साथ मिलाकर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए में जोड़ा गया, इसके बावजूद वर्तमान समय में हमारे देश में 13 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जो शिक्षा से वंचित हैं. इसके लिए हमारी मौजूदा सरकार जिम्मेदार है.
हिमाचल प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा बेरोजगार राज्य बन गया है. शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश का स्थान 21 नंबर पर पहुंच गया है. इससे पता चलता है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा किस तरीके से शिक्षा को एक वस्तु की तरह बेचा जा रहा है.
एसएफआई सिरमौर के जिला सचिव कामरेड वंश ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में जो नई शिक्षा नीति (2020) देश में लागू की जा रही है, वह सार्वजनिक शिक्षा पर हमला है. हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लगातार सरकारी शिक्षण संस्थानों को बंद किया जा रहा है. सिरमौर जिला में भी इसका असर दिखाई दे रहा है. सिरमौर के पझौता व रोनहाट के कॉलेज भी बंद किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि एसएफआई सरकारी शिक्षण संस्थानों को बचाने के लिए छात्रों को लामबंद कर देश व प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन खड़ा करेगी. इसके साथ साथ हिमाचल प्रदेश में बढ़ते नशे के कारोबार के खिलाफ भी एसएफआई एक अभियान चलाने जा रही है, जिसमें युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए जागरूक करेगी.