नाहन : जिला सिरमौर के धारटीधार इलाके का सरकारी स्कूल बाड़थल मधाना। जमा एक और दो में बच्चों की संख्या कम होने पर गत शैक्षणिक सत्र में कई बार स्कूल बंद होने का संकट बना रहा तो शिक्षकों की कमी से बच्चों के पलायन करने की चिंता।
अपने बच्चों के भविष्य को लेकर पूरा साल अभिभावक परेशान रहे। यहां तक कि एसएमसी पूरा साल शिक्षकों के खाली पद भरने के लिए संघर्ष करती रही तो कभी बच्चों की कम संख्या को लेकर स्कूल पर बने संकट से निजात के प्रयास किए।
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हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से हाल में घोषित 10वीं और 12वीं कक्षा के नतीजे आए तो अभिभावकों ने उस वक्त राहत की सांस ली जब दोनों कक्षाओं के बच्चों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर स्कूल का नाम चमका दिया। वो भी ऐसे समय में जब स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए पूरे साल स्टाफ भी पूरा नहीं रहा।
इस स्कूल में लंबे समय से प्रिंसिपल का पद खाली चल रहा है तो वहीं राजनीतिक शास्त्र, इतिहास और अंग्रेजी के प्रवक्ता के अलावा टीजीटी मेडिकल और नॉन मेडीकल के पद भी रिक्त चल रहे हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसी परिस्थितियों में बच्चों ने किस तरह अपनी शिक्षा जारी रखी। जाहिर सी बात है कि स्टाफ की कमी के बावजूद स्कूल में मौजूद शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाने के भरपूर प्रयास किए और मेहनत रंग ला गई।
नजीता ये रहा कि जमा दो कक्षा में भावना ठाकुर पुत्री सतिंदर सिंह ने 438 अंक लेकर स्कूल में प्रथम स्थान हासिल किया। जबकि, संजना ठाकुर पुत्री सुभाष ने 415 और अमन ठाकुर पुत्र देविंद्र सिंह ने 409 अंक लेकर क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस विद्यालय में कुल 7 बच्चों ने जमा दो की परीक्षा दी। सभी पास हुए। सिर्फ एक बच्चे की कंपार्टमेंट आई।
वहीं, 10वीं कक्षा में भूमिका पुत्री लेखराज ने 684 अंक लेकर शानदार प्रदर्शन किया। जिला मुख्यालय के दूरदराज और ग्रामीण परिवेश के इस स्कूल की भूमिका के इस असाधारण प्रदर्शन से न केवल स्कूल का मान बढ़ा, बल्कि समूचे इलाके को भी गौरवान्वित किया है।
इसी कक्षा की श्रेयसी पुत्री प्रेमपाल ने 665 अंक लेकर स्कूल में दूसरा और यश ठाकुर पुत्र राकेश ने 601 अंक लेकर तीसरा स्थान हासिल किया। कुल 12 बच्चों ने 10वीं की परीक्षा दी। इसमें 10 उत्तीर्ण हुए, जबकि 2 फेल हुए।
उधर, एसएमसी अध्यक्ष कुलदीप सिंह और पूर्व अध्यक्ष कमलेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि स्टाफ के अभाव के बावजूद बच्चों ने शानदार प्रदर्शन किया है। ये बच्चों की कड़ी मेहनत का नतीजा है।
उन्होंने बताया कि गत शैक्षणिक वर्ष में जमा एक और दो कक्षाओं में 32 बच्चों ने प्रवेश लिया था, लेकिन स्टाफ के अभाव में बच्चों ने यहां से दूसरे स्कूलों में पलायन कर लिया। अंत में जमा दो कक्षा में सिर्फ 7 बच्चे ही शेष रहे।
पूरे साल डेपुटेशन पर जमा एक और दो की कक्षाएं चलती रहीं। उन्होंने शिक्षा विभाग और सरकार से मांग की कि इस शैक्षणिक वर्ष में यहां सभी खाली पदों को भरा जाए। ताकि, बच्चे और अधिक शानदार प्रदर्शन कर सकें।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष कई बार उन्होंने स्कूल बंद न करने को लेकर अपनी आवाज बुलंद की। इसके लिए उन्होंने शिमला सचिवालय तक दौड़भाग भी की। बहरहाल, बच्चों की मेहनत रंग लाई है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए स्कूल के शिक्षकों को भी बधाई दी।