धौलाकुआं में मधुमक्खी पालन पर सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर संपन्न, व्यवहारिक ज्ञान के साथ जानीं तकनीकें और रणनीतियां

किसानों को मधुमक्खियों की प्रजातियों की पहचान, रानी मधुमक्खी पालन तकनीक, मौसमी प्रबंधन, मधु निष्कर्षण की विधियां और मधु विपणन की तकनीकों पर विशेषज्ञों ने गहन जानकारी प्रदान की...

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धौलाकुआं : क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं में आयोजित 7 दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण शिविर का रविवार को समापन हो गया। 16 जून से शुरू हुए इस शिविर में किसानों ने मधुमक्खी पालन की विभिन्न तकनीकों और रणनीतियों की जानकारी हासिल की।

प्रशिक्षण के दौरान किसानों को मधुमक्खियों की प्रजातियों की पहचान, रानी मधुमक्खी पालन तकनीक, मौसमी प्रबंधन, मधु निष्कर्षण की विधियां और मधु विपणन की तकनीकों पर विशेषज्ञों ने गहन जानकारी प्रदान की। किसानों को व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया, जिसमें उन्हें मधुमक्खी के बक्सों की स्थापना, प्रबंधन और देखरेख करना सिखाया गया।

केंद्र की सह निदेशक डॉ. प्रियंका ठाकुर ने बताया कि
प्रशिक्षण शिविर से किसानों का उत्साह बढ़ा और व्यावसायिक अवसरों की नई दिशा भी मिली। 19 जून को किसानों को डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन का दौरा करवाया गया, जहां किसानों को विशेषज्ञों ने व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया।

नौणी में मधुमक्खी विशेषज्ञों डॉ. मीना ठाकुर (प्रमुख वैज्ञानिक), डॉ. अजय शर्मा (सहायक प्राध्यापक), डॉ. किरण राणा (प्रमुख वैज्ञानिक), डॉ. एस.सी. वर्मा, (प्राध्यापक एवं विभाग प्रमुख), वी.जी.एस. चंदेल (वैज्ञानिक) ने किसानों को प्रदर्शनी और व्याख्यान के माध्यम से गहन जानकारी प्रदान की।

20 जून को किसानों को एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र रामनगर (हरियाणा) का भ्रमण करवाया और मधुमक्खियों की जैविक संरचना, प्रजातियां और उनके जीवन चक्र पर विस्तृत व्याख्यान दिया। 21 जून को किसानों को केंद्र द्वारा स्थापित किए गए फलों, फूलों के बगीचों में भ्रमण करवाया गया।

साथ ही उनको प्रगतिशील किसानों के द्वारा स्थापित किए गए मधुमक्खी पालन का भी ब्यौरा दिया गया। जहां प्रगतिशील किसानों ने मधुमक्खी पालन को शुरू करने से लेकर अब तक के अनुभवों को किसानों के साथ साझा किया।

समापन मौके पर डॉ. प्रियंका ठाकुर ने कहा कि किसान इस प्रशिक्षण को एक शुरुआत के रूप में लें और जो भी सीखा है, उसे अपने खेतों और जीवन में उतारें। किसी भी तरह की समस्या के लिए संस्थान किसानों के लिए है।

सूक्ष्मजीव वैज्ञानिक नीलम शर्मा ने छत्ते से स्वास्थ्य तक : मधुमक्खियों को प्रशिक्षित करना और शहद के पोषण संबंधी रहस्यों को उजागर करने संबंधी अपने विचार साझा किए। इस मौके पर प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. शिल्पा समेत क्षेत्र सहायक राकेश चौधरी व प्रयोगशाला सहायक रोहित सहित केंद्र के अन्य स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।

प्रशिक्षण के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र और मधुमक्खी पालन किटें भी वितरित की गईं और उन्हें प्रोत्साहन के लिए आवश्यक संसाधनों की जानकारी दी गई। किसानों ने इस प्रशिक्षण को बहुत उपयोगी और प्रेरणादायक बताया।