हिमाचल में 14 घंटे के हाईटेक रेस्क्यू ऑपरेशन से बची ‘गौ माता’ की जान, ड्रोन और रस्सियों की मदद से रेस्क्यू, जोखिम भरा था ये मिशन

यह रेस्क्यू किसी जोखिम भरे मिशन से कम नहीं था। बचाव दल के सदस्यों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए पहले तो ड्रोन से पतली सुतली को गाय तक पहुंचाया। फिर इसमें मोटे रस्से बांध नदी के दूसरे छोर पर खड़े रेस्क्यू दल तक पहुंचाए गए। एक रस्सा गाय के गले में बांधा गया। दूसरे रस्से गाय के शरीर में डाले गए। फिर...

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नाहन : हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के ददाहू में पुल के समीप एक गहरी ढांक में पिछले सात-आठ दिनों से फंसी एक गाय को बचाने के लिए 14 घंटे का हाईटेक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। इस ऑपरेशन में ड्रोन, रस्सियों के साथ स्थानीय लोगों ने अपनी बहादुरी का परिचय दिया, जिससे गाय को बिना किसी खरोंच के सुरक्षित बाहर निकाला जा सका। रेस्क्यू के बाद गौ सेवकों का उत्साह देखते ही बन रहा था। इस कार्य में होमगार्ड के जवानों ने भी भरपूर सहयोग दिया।

दरअसल, गिरि नदी के खराटुवा कुंड के पास एक खड़ी ढांक पर फंसी गाय पिछले एक हफ्ते से भूखी-प्यासी थी। वह ढांक से न तो हिल पा रही थी और न ही बैठ पा रही थी। एक तरफ खड़ी चट्टान थी और दूसरी तरफ गिरि नदी का तेज बहाव।

इसकी जानकारी जैसे ही मां श्री रेणुका जी सेवा समिति को मिली तो गत मंगलवार दोपहर 3 बजे के आसपास उनका दल मौके पर पहुंच गया। यहां ऊपर से गिरते पत्थरों और खड़ी ढांक के कारण उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा, लेकिन टीम ने अपनी जान जोखिम में डालकर खड़ी ढांक में एक चौड़ा गड्डा बनाया, ताकि गौ माता नीचे गिरि नदी में गिरने से बचाया जा सके।

गड्ढे में गौ माता के लिए चारे की भी व्यवस्था की गई। हालांकि, इस दौरान ड्रोन की मदद से गिरि नदी के दूसरे छोर से एक पतली रस्सी यानी प्लास्टिक की सुतली (केन) को गाय तक पहुंचाने के प्रयास किए गए, लेकिन अंधेरा होने की वजह से ये कार्य पूरा नहीं हो सका और ड्रोन भी पेड़ में फंस गया, जिससे उसके प्रोपेलर भी टूटकर गिर गए। लिहाजा, रात 8 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन को स्थगित करना पड़ा। इस कार्य में टीम को पहले दिन 6 घंटे का वक्त लगा।

अगले दिन बुधवार सुबह 6 बजे मां श्री रेणुका जी सेवा समिति और गौ सेवा सदन ददाहू की टीम फिर से मैदान में उतरी। टीम के पास संसाधनों की कमी को देखते हुए प्रशासन को भी सूचना दी गई। सुबह 10 बजे गृह रक्षा कंपनी श्री रेणुका जी की टीम कंपनी कमांडर सुरेश कुमार के नेतृत्व में पहुंची। बता दें कि समिति की टीम को 400 से 500 मीटर लंबे और मोटे रस्से की जरूरत थी, ताकि गाय को पहाड़ी से उतारकर नदी के रास्ते सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। लिहाजा, होमगार्ड के जवान पर्याप्त रस्सियों के साथ मौके पर पहुंचे।

जोखिम भरा रेस्क्यू, जान की बाजी
श्री रेणुका जी सेवा समिति के सदस्य हरिंद्र शर्मा ने बताया कि यह रेस्क्यू किसी जोखिम भरे मिशन से कम नहीं था। बचाव दल के सदस्यों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए पहले तो ड्रोन से पतली सुतली को गाय तक पहुंचाया। फिर इसमें मोटे रस्से बांध नदी के दूसरे छोर पर खड़े रेस्क्यू दल तक पहुंचाए गए। एक रस्सा गाय के गले में बांधा गया। दूसरे रस्से गाय के शरीर में डाले गए।

ताकि, एक रस्सा गाय को खींचने का काम करे तो दूसरे रस्से गाय को पहाड़ी से नीचे उतारते वक्त संतुलन बनाने का कार्य करें। ये रस्से नदी में गहरे कुंड और तेज बहाव से गाय को डूबने से बचाने की रणनीति पर भी काम कर रहे थे। गाय को नीचे उतारने के दौरान पहाड़ी पर खड़ी टीम के लिए भी ये बेहद जोखिम भरा था, जो अपनी जान की बाजी लगा रहे थे। वहीं दूसरी ओर नदी के दूसरे छोर पर खड़ी टीम का चालेंज ये था कि गाय को कुंड और तेज बहाव से सुरक्षित बाहर निकाला जाए।

इन सब रणनीतियों के आधार पर टीमों ने कार्य किया। भारी जोखिम के बीच गाय को धीरे-धीरे पहाड़ी से नीचे उतारा गया। इस ऑपरेशन के दौरान गाय कुंड में दो मिनट तक नजर नहीं आई, लेकिन टीमों ने अपना धैर्य नहीं खोया। टीमें रस्से खींचते रही और आखिरकार गाय ने रेस्क्यू टीमों को अपने दर्शन दे दिए।

ये ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा। जैसे ही गाय सुरक्षित बाहर निकली, मौके पर मौजूद सभी लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा। चारों तरफ “गौ माता की जय” के नारे गूंज उठे। सनातन धर्म के प्रति आस्था रखने वाले लोगों ने इस बचाव कार्य की जमकर सराहना की। उधर, तहसीलदार ददाहू जय सिंह ठाकुर ने भी पूरी टीम की सराहना की।