यमुना नदी की लहरों में समाए युवकों की तलाश का दुखद अंत, सगे भाइयों के शवों का आज होगा अंतिम संस्कार

पांवटा साहिब में यमुना नदी की लहरों में समाए शिलाई क्षेत्र के तीन युवकों की तलाश पूरी हो गई है, पर यह अंत जितना दुखद है, उससे कहीं अधिक हृदय विदारक। शिलाई विधानसभा क्षेत्र के गवाली गांव के इन तीनों जवानों के शवों की बरामदगी ने पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया है। दो सगे भाइयों में कमलेश का शव यमुना नगर में प्रताप नगर के समीप नहर के पास मिला, जबकि रजनीश हथनी कुंड बैराज से बरामद हुआ।

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पांवटा साहिब : जिला सिरमौर के पांवटा साहिब में यमुना नदी की लहरों में समाए शिलाई क्षेत्र के तीन युवकों की तलाश पूरी हो गई है, पर यह अंत जितना दुखद है, उससे कहीं अधिक हृदय विदारक।

शिलाई विधानसभा क्षेत्र के गवाली गांव के इन तीनों जवानों के शवों की बरामदगी ने पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया है। दो सगे भाइयों में कमलेश का शव यमुना नगर में प्रताप नगर के समीप नहर के पास मिला, जबकि रजनीश हथनी कुंड बैराज से बरामद हुआ।

इससे पहले उनके साथी अमित का शव दो दिन पहले हरियाणा के कलेसर में मिला था। प्रशासन ने दोनों भाइयों के शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिए हैं। दोनों भाइयों के शवों का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा।

बता दें कि इन तीनों युवकों के साथ 23 सितंबर को उस समय अनहोनी हुई, जब ये हरिद्वार से देवता को स्नान कराने के बाद पालकी के साथ पांवटा साहिब पहुंचे थे। इस बीच जब इन युवकों में से एक यमुनाघाट पर स्नान करने नदी में उतरा तो पानी में डूबता उसके भाई और साथी ने उसे बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी।

नदी के तेज बहाव के बीच पानी से संघर्ष करने के बाद भी इनमें से कोई सुरक्षित बाहर नहीं आ सका। इसके बाद पांवटा साहिब प्रशासन, सिरमौर पुलिस के साथ साथ एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, फर्स्ट पैरा स्पैशल फोर्स नाहन और स्थानीय गोताखोरों ने मिलकर रेस्क्यू आपरेशन चलाया।

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सर्च अभियान के दौरान हर कोई किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए हुए था। पहले 24 सितंबर को अमित का शव कलेसर के पास मिला। फिर 25 सितंबर की रात को कमलेश का शव यमुनानगर से बरामद हुआ। 26 सितंबर को तड़के छोटे भाई रजनीश का शव हथिनी कुंड बैराज से मिला।

इस पूरी तलाश में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और बाद में सेना के जवानों ने अथक प्रयास किए, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। जिस परिवार में दो सगे भाई एक साथ हंसते-खेलते थे, उस घर में बस अब बस सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के लोग, रिश्तेदार और सगे-संबंधी इस शोक की लहर में डूबे हैं। पूरे गांव में मात्तम छाया हुआ है। इस त्रासदी ने हर किसी को झकझोर दिया है।

उधर, एसडीएम पांवटा साहिब गुंजीत सिंह चीमा ने गहरा दुख जताते हुए कहा कि सर्च अभियान पूरे 60 घंटे चला। तीनों युवकों के शव बरामद कर लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने 2024 में 15 जून से 15 सितंबर तक 8 गोताखोर और 2025 में 25 जून से 15 सितंबर तक 10 गोताखोर नियुक्त किए थे, ताकि नदी में स्नान करने वाले लोगों को डूबने से बचाया जा सके। इसके बाद ये दुखद घटना  सामने आई है। प्रशासन का प्रयास है कि यहां नियमित रूप से गोताखोरों की तैनाती की जाए। इसके लिए जिला प्रशासन और सरकार को भी लिखा गया है। उन्होंने पीड़ित परिवारों के साथ गहरी संवेदनाएं प्रकट करते हुए इस असहनीय दुख को सहने की प्रार्थना की।

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