हाथियों को भगाएगी मधुमक्खियों की फौज, वन विभाग ने यहां किए ये पुख्ता इंतजाम

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नाहन : हिमाचल प्रदेश में जिला सिरमौर की पांवटा साहिब घाटी एकमात्र ऐसी जगह है, जहां पिछले करीब दो दशकों से हाथियों का आवागमन हो रहा है. ये हाथी पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क से वाया बहराल होते हुए वन मंडल पांवटा साहिब में दाखिल होते हैं.

पिछले एक डेढ़ साल में 14 से 15 हाथी तो घाटी के जंगलों में अपना स्थायी ठिकाना भी बना चुके हैं. कुछ समय से ये जंगली हाथी रिहायशी इलाकों में भी घुसकर फसलों आदि को तबाह कर रहे हैं. लिहाजा, अब वन मंडल पांवटा साहिब में हाथियों को मधुमक्खियों की फौज दूर जंगलों में भगाएंगी.

सतीवाला बीट में वन विभाग ने इसके पुख्ता इंतजाम किए हैं. ये कारगर कदम रिहायशी बस्तियों में जंगली हाथियों की रोकथाम के मकसद से उठाया गया है. वन विभाग ने प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत सतीवाला बीट में ट्रायल के तौर पर मधुमक्खियों के 30 बॉक्स स्थापित किए हैं. इसके कारगर परिणाम सामने आने के बाद हाथी प्रभावित अन्य इलाकों में भी ऐसे ही बॉक्स स्थापित किए जाएंगे.

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बहराल ब्लाक की सतीवाला बीट में हाथी प्रभावित एरिया में स्थापित किए गए मधुमक्खियों के बॉक्स।

वन विभाग की मानें तो अनुशंसित संचालन प्रक्रिया में कहा गया है कि हाथी मधुमक्खियों से डरते हैं, क्योंकि मधुमक्खियां उनकी आंख और सूंड में डंक मारती है. इसके अलावा मधुमक्खियों की आवाज भी हाथियों को परेशान करती है.

मधुमक्खियों से भरे डिब्बे हाथियों के रास्ते में रखने से हाथियों को मानव बस्तियों में आने से रोका जा सकता है. लिहाजा, हाथी प्रभावित बहराल ब्लाक की सतीवाला बीट के तहत रिजर्व फॉरेस्ट मस्तली सी-1 के नजदीक लालूवाली एरिया में वन विभाग ने मधुमक्खियों से भरे यह 30 बॉक्स स्थापित किए हैं.

इस कार्य को मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ डा. अशोक, बहादुर सिंह, वन कर्मी दीपक शर्मा, गज मित्र गुरजीत सिंह की मदद से अंजाम दिया गया.

मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा
बता दें कि प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत वन विभाग पांवटा साहिब में मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा दे रहा है, जिसके लिए हाथी प्रभावित इलाकों के लोगों को इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. इसके तहत लोगों को मधुमक्खी के छत्ते की बाड़ लगाने की तकनीक के अलावा यह भी दिखाया जा रहा है कि कैसे डमी मधुमक्खी के बॉक्स और स्पीकर के माध्यम से मधुमक्खियों की गुंजन की आवाज भी हाथियों को उनकी फसलों से दूर रखने में मदद कर सकती है.

दो लोगों को भी उतार चुके मौत के घाट
अक्सर ये हाथी पांवटा साहिब में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, तो वर्ष 2024 में दो अलग-अलग हमलों में ये जंगली हाथी एक महिला सहित 2 लोगों को मौत के घाट भी उतार चुके हैं. लिहाजा, लोगों की जान-माल की सुरक्षा के मद्देनजर ही प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत हाथियों को रिहायशी बस्तियों से दूर रखने के लिए कई कारगर कदम उठाए जा रहे हैं.

क्या कहते हैं डीएफओ
वन मंडल पांवटा साहिब के डीएफओ ऐश्वर्य राज ने बताया कि रिहायशी इलाकों में हाथियों के आवागमन को रोकने के इरादे से संबंधित एरिया में मधुमक्खियों से भरे ये बॉक्स स्थापित किए गए हैं. वन विभाग हाथी प्रभावित इलाकों के लोगों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी दे रहा है. प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत विभाग हर वह आवश्यक कदम उठा रहा है, जिससे रिहायशी इलाकों में हाथियों की मूवमेंट और हाथी-मानव संघर्ष को रोका जा सके.