शिमला : महानिदेशक सीमा सड़क (डीजीबीआर) पीवीएसएम, वीएसएम, लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने शनिवार को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से भेंट की और परियोजना दीपक के तहत प्रमुख बुनियादी ढांचागत पहलों पर चर्चा की.
बैठक के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री को पहाड़ी राज्य में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं की प्रगति और राज्य के लोगों के लिए संपर्क सुविधा को बढ़ाने की विस्तृत जानकारी दी.
महानिदेशक ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि सीमा सड़क संगठन ने परियोजना दीपक के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के मनाली और सिस्सू क्षेत्रों में तीन प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच-03, एनएच-05 और एनएच-505) के उन्नयन, सुधार और विकास का दायित्व निभाया है. ये कार्य न केवल सामरिक महत्व के हैं, बल्कि इनका उद्देश्य दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों में संपर्क सुविधा को बढ़ाकर स्थानीय लोगों को लाभान्वित करना है.
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण दुर्गम और ऊंचाई पर स्थित इलाकों में सीमा सड़क संगठन द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में सीमा सड़क संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका है.
मुख्यमंत्री ने लियो चांगो और शिव मंदिर से गुए सड़कों सहित अन्य महत्वपूर्ण सड़कें, जो वर्तमान में लोक निर्माण विभाग के अधीन हैं उनके रखरखाव की जिम्मेदारी सीमा सड़क संगठन को संभालने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने अन्य महत्वपूर्ण सड़कें जैसे कि किन्नौर को लाहौल-स्पीति जिले से जोड़ने वाली वांगतू-अटरगू-मुध-भावा दर्रा मार्ग को भी सीमा सड़क संगठन के अधीन लेने का प्रस्ताव रखा.
इस मार्ग को हाल ही में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से मंजूरी मिली है, जिससे इसके निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है. यह सड़क 4,865 मीटर की ऊंचाई पर बनेगी और खारदुंग ला के बाद देश की दूसरी सबसे ऊंची वाहन योग्य सड़क बन जाएगी. इस सड़क के बनने से शिमला और काजा के बीच की दूरी लगभग 100 किलोमीटर कम हो जाएगी और यह नाको, समदो और ताबो मार्ग के अलावा लाहौल स्पीति के लिए संपर्क सुविधा का अतिरिक्त विकल्प प्रदान करेगा.
वर्तमान में यह दूरी 410 किलोमीटर है जो नई सड़क के बनने से लगभग 310 किलोमीटर हो जाएगी. इससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा भी मिलेगा.
मुख्यमंत्री ने सीमा सड़क संगठन से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चंबा-बैरागढ़-साचपास-किलाड़ सड़क को अपने नियंत्रण में लेने का भी आग्रह किया. भारत-पाकिस्तान सीमा और वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास सुदूर पांगी घाटी को जोड़ने वाला यह मार्ग मनाली-लेह और रोहतांग मार्गों के बंद होने की स्थिति में एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है.
वर्तमान में लोक निर्माण विभाग द्वारा संचालित साचपास वर्ष में केवल चार से पांच महीनों के लिए यातायात के लिए खुला रहता है. मुख्यमंत्री ने 13 किलोमीटर लंबी तीसा सुरंग को भी सीमा सड़क संगठन के अधीन लेने का प्रस्ताव रखा. इस मार्ग से चंबा-किलाड़ की दूरी 88 किलोमीटर कम हो जाएगी और बारह मासी संपर्क संभव हो सकेगा.
मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि बीआरओ की भागीदारी से महत्वपूर्ण सड़क बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी आएगी और प्रदेश में सीमावर्ती सम्पर्क सुविधा और आर्थिक विकास को और मजबूती मिलेगी.
महानिदेशक ने कहा कि लोक निर्माण विभाग से औपचारिक हस्तांतरण पूरा होते ही इन सड़कों को सीमा सड़क संगठन के अधीन ले लिया जाएगा. इसके लिए सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही मिल चुकी है और सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इन सड़कों के काम तेजी लाई जाएगी. इस अवसर पर सीमा सड़क संगठन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.