शिमला : हिमाचल प्रदेश ग्रामीण विकास विभाग ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नई नीति को अधिसूचित कर दिया है। इसके तहत अब ग्राम पंचायतें स्वच्छता शुल्क वसूलेंगी। यही नहीं यदि कोई खुले में कूड़ा फैंकता हुआ पाया गया तो उस पर 200 से 500 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने इस संबंध में एसओपी जारी की है।
दरअसल, प्रदेश सरकार की ओर से चलाई जा रही इस बड़ी पहल का मुख्य मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस कचरे का उचित प्रबंधन और निपटान सुनिश्चित करना है। इसके तहत घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कचरा अलग-अलग करने के लिए हरे, नीले और लाल रंग के डिब्बों का इस्तेमाल किया जाएगा। बार-बार नियमों का उल्लंघन करने वाली व्यावसायिक संस्थाओं के व्यापार लाइसेंस भी रद्द किए जा सकते हैं।

ग्रामीण विकास विभाग इस पूरी प्रक्रिया में एसओपी जारी करने, प्रशिक्षण आयोजित करने और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करेगा। जिला परिषदें तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करेंगी और कार्यान्वयन की निगरानी करेंगी। वहीं, पंचायत समितियां संचालन पर नजर रखेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि धन का सही इस्तेमाल हो।
इस नई व्यवस्था को सफल बनाने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों और सफाई कर्मचारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ग्रामीण स्वच्छता और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लक्ष्य से लागू की गई इस ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नीति 2024 के तहत स्वच्छता शुल्क लगाने के साथ-साथ 15वें वित्त आयोग के अनुदान का उपयोग भी किया जाएगा।
बुनियादी ढांचे के विकास और संचालन के खर्चों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) मॉडल को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इस नीति को प्रदेश में लागू करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों, जिला परिषदों और संबंधित विभागों की होगी। नामित संग्रहकर्ताओं द्वारा प्रतिदिन कचरा एकत्र किया जाएगा।