बच्चों ने स्कूल कक्ष में ही उगा दी बटन मशरूम, मिड डे मील में जाएगी परोसी, हिमाचल में ऐसा पहली बार!

इस स्कूल में 80 बच्चे एग्रीकल्चर और हेल्थ केयर विषयों की पढ़ाई भी कर रहे हैं. इन बच्चों ने मशरूम उत्पादन के लिए स्कूल के एक कक्ष में ही ये एक्सपेरिमेंट किया, जो पूरी तरह सफल रहा है.

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नाहन : हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के पीएमश्री पंडित दुर्गा दत्त राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नारग के बच्चों ने स्कूल कक्ष में ही बटन मशरूम तैयार कर दी है. स्कूल स्टाफ और मशरूम वैज्ञानिक के मार्गदर्शन में इस कार्य को एग्रीकल्चर और हेल्थ केयर व्यावसायिक विषयों के बच्चों ने अंजाम दिया.

हालांकि, स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता लेकिन माना जा रहा है कि स्कूल में मशरूम तैयार करने वाला नारग प्रदेश का ऐसा पहला विद्यालय हो सकता है. इस सफल प्रयोग के बाद अब मशरूम की ढिंगरी और शिटाके किस्मों के उत्पादन पर भी कार्य शुरू करने की तैयारी चल रही है.

स्कूल में मशरूम उगाने का मकसद सिर्फ इतना था कि बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ साथ व्यवहारिक शिक्षा भी स्कूल में ही मिले. इस स्कूल में 80 बच्चे एग्रीकल्चर और हेल्थ केयर विषयों की पढ़ाई भी कर रहे हैं. इन बच्चों ने मशरूम उत्पादन के लिए स्कूल के एक कक्ष में ही ये एक्सपेरिमेंट किया, जो पूरी तरह सफल रहा है.

विद्यालय के प्रधानाचार्य रोहित वर्मा ने बताया कि 20 से 25 दिन पहले नौणी यूनिवर्सिटी सोलन से मशरूम स्पॉन के 10 बैग लाए गए थे. इसके लिए कमरे का तापमान 20-22 डिग्री सेल्सियस बनाए रखना जरूरी था. लिहाजा स्कूल के ऐसे कक्ष का चयन किया गया, जिसका तापमान 13-14 डिग्री था और कमरे में सिर्फ एक ही दरवाजा था. इस तापमान को हीटर जलाकर 20-22 डिग्री सेल्सियस किया गया. यहां 200 वॉट का बल्व भी जलाकर रखा गया. तापमान मेंटेन करने और थर्मामीटर से चेक करके स्पॉन को इस कक्ष में लगाया गया.

स्पॉन डालकर केसिंग सॉयल की परत बनाई गई. इसके साथ साथ गीली बोरी से मशरूम को नमी दी गई. उन्होंने बताया कि 3-4 दिन बाद फ्लैश आने पर मशरूम को 14 डिग्री और इससे कम तापमान की आवश्यकता थी. लिहाजा, मशरूम को ऐसे कमरे में शिफ्ट किया गया जहां ये तापमान मिल सके. इसके लिए नए, हवादार और ठंडे कमरे का चयन किया गया. यहां भी मशरूम को नमी देने के लिए गीली बोरी का इस्तेमाल किया गया. बीते दिन ही मशरूम तैयार हुई है, जिसे काटकर अब मिड-डे मील में बच्चों को परोसा जाएगा.

रोहित वर्मा ने बताया कि इस कार्य में समय समय पर नौणी यूनिवर्सिटी की मशरूम विशेषज्ञ डा. सविता जंडायक का परामर्श लिया गया. उन्होंने बताया कि बिना किसी रासायनिक खाद और दवाई का इस्तेमाल किए बिना मशरूम उगाकर विद्यार्थी बहुत उत्साहित महसूस कर रहे हैं. इस सफल प्रयोग के बाद बच्चे अब ढिंगरी और शिटाके मशरूम उगाने की योजना पर भी काम करेंगे.

बच्चे ये भी कर रहे खास काम
इस विद्यालय में पहले भी बच्चों के लिए वोकेशनल शिक्षा के अन्तर्गत महर्षि चरक औषधीय वाटिका, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट, ग्रीन हाउस, किचेन गार्डन, ओपीडी कक्ष का निर्माण किया गया है ताकि विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जा सके और बच्चे इसे भविष्य में आजीविका का एक जरिया बना सके.

स्कूल में होगी मिट्टी की जांच
कृषि विषय की अध्यापिका नेहा कौंडल और कृष्णा (प्रयोगशाला सहायक) ने बताया कि प्रधानाचार्य रोहित वर्मा के सुझाव पर विद्यालय के लिए एक मृदा परीक्षण किट की उपलब्ध करवाई गई है, जिसका उपयोग विद्यार्थियों और स्थानीय कृषकों को अपनी मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति और गुणवत्ता का पता लगाने में किया जाएगा. ताकि, बच्चे सही मात्रा में खाद और उर्वरक का उपयोग कर सकें और अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकें.