नाहन : क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान धौलाकुआं में ‘वन महोत्सव’ का आयोजन किया गया। दो दिन चले कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और स्थानीय लोगों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। इस दौरान संस्थान के विभिन्न स्थानों पर लीची, अमरूद और बांस जैसे फलों के पौधों के साथ-साथ सदाबहार, कुफिया हिसोपिफोलिया, स्नेक प्लांट, गोफ्रीना, गेंदा और अन्य सजावटी पौधों सहित लगभग 250 विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए गए।
कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्र की सह निदेशक डॉ. प्रियंका ठाकुर के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने ‘वन महोत्सव’ के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी शुरुआत 1950 में भारत के पहले केंद्रीय कृषि मंत्री डॉ. के. एम. मुंशी ने की थी। अब ये पर्व एक राष्ट्रीय अभियान का रूप ले चुका है, जिसके तहत हर वर्ष लाखों पौधे लगाए जाते हैं।
उन्होंने वनों के महत्व, पर्यावरण संतुलन में उनकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा की और सभी से अपने जीवन में कम से कम एक वृक्ष लगाने और उसकी देखभाल करने का आग्रह किया। उन्होंने “एक पेड़ अनेक लाभ” के मंत्र को जीवन का मूलमंत्र बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि पेड़ न केवल धरती की हरियाली बढ़ाते हैं, बल्कि वर्षा, भूमि संरक्षण, पशु-पक्षियों के आवास और जलवायु संतुलन में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
सहायक प्राध्यापिका डॉ. शिल्पा ने कहा कि ‘वन महोत्सव’ केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अभियान है, जिसे हमें अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए। उन्होंने सभी से अधिक से अधिक पेड़ लगाकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा और सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित करने का दायित्व निभाने का आग्रह किया। इस मौके पर क्षेत्र सहायक राकेश चौधरी, यंग प्रोफेशनल-II डॉ. सिमरन कश्यप समेत कई लोग मौजूद रहे।