हिमाचल में शिक्षकों के भरे जाएंगे 9535 पद, अब सत्र के बीच नहीं होगी सेवानिवृत्ति

जिला मंडी के सरकाघाट में राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और परेड का निरीक्षण किया।

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मंडी : प्रदेश में 79वां स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राज्य, जिला और उप-मंडल स्तर पर भव्य समारोह आयोजित किए गए। समारोह में मुख्यातिथियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और पुलिस, होमगार्ड, एनसीसी और आईटीबीपी की टुकड़ियों द्वारा मार्च पास्ट की सलामी ली गई।

जिला मंडी के सरकाघाट में राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और परेड का निरीक्षण किया।

मुख्यमंत्री ने भारी बारिश के बीच पुलिस, होमगार्ड, एनसीसी, आईटीबीपी, उत्तराखंड पुलिस, तृतीय भारत रिजर्व बटालियन पंडोह, जिला मंडी पुलिस, यातायात पुलिस, पूर्व सैनिक लीग और होमगार्ड बैंड की टुकड़ियों के मार्च पास्ट की सलामी ली।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रदेश को भारी नुकसान हो रहा है। विशेषकर जिला मंडी में भारी बारिश के कारण काफी नुकसान हुआ है। इसके बावजूद राज्य को अभी तक केंद्र से कोई वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं हुई है।

उन्होंने कहा कि प्रभावितों को सहायता प्रदान के लिए राज्य सरकार अपने संसाधनों से 360.42 करोड़ रुपये वितरित कर चुकी है। उन्होंने आशा जताई कि केंद्र सरकार शीघ्र ही आपदा प्रभावित परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।

मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावितों को त्वरित राहत प्रदान करने के लिए अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त आपदा न्यूनीकरण और आजीविका की सुरक्षा के उद्देश्य से 3,000 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू करने की भी घोषणा की।

इस वर्ष आपदाओं में जान गंवाने वाले 222 लोगों और सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र में मसेरन बस दुर्घटना के 8 मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार प्रत्येक प्रभावित परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।

उन्होंने कहा कि विशेष राहत पैकेज के तहत पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के लिए मुआवज़ा राशि को 1.3 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया गया है, आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के लिए मुआवजा राशि को 12,500 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। उन्होंने कहा कि जो मकान रहने लायक नहीं हैं उन्हें मुआवजा राशि के लिए पूरी तरह क्षतिग्रस्त माना जाएगा।

नशे की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार युवाओं को चिट्टे से बचाने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पीआईटी एनडीपीएस अधिनियम लागू किया है और ड्रग तस्करों की 42 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति ज़ब्त की है। राज्य सरकार ने पुलिस भर्ती में चिट्टा परीक्षण अनिवार्य कर दिया है।

उन्होंने एंटी चिट्टा वालंटियर योजना शुरू करने की भी घोषणा की। योजना के तहत स्वयंसेवकों को पुलिस और आम जनता के मध्य सेतु का काम करने के लिए तैयार किया जाएगा। युवा स्वयंसेवक चिट्टे की तस्करी को रोकने में मदद करने के साथ-साथ जागरूकता अभियानों और पुलिस को समय-समय पर गोपनीय जानकारी उपलब्ध करवाने में भी सहायता करेंगे। इन स्वयंसेवकों के लिए प्रोत्साहन राशि का भी प्रावधान किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने नशा मुक्ति रोकथाम एवं पुनर्वास बोर्ड के गठन की भी घोषणा की। इस बोर्ड में गृह, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, शिक्षा, युवा सेवा एवं खेल, पंचायती राज और कारागार विभागों के विशेषज्ञों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठन और सोशल सांइटिस्ट को शामिल किया जाएगा।

यह बोर्ड नशे पर अंकुश लगाने तथा नशे के चंगुल में फंसे युवाओं को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में काम करेगा। राज्य सरकार द्वारा नशे के चंगुल में फंसे युवाओं के कल्याण के लिए नशामुक्ति और पुनर्वास के लिए प्रभावी कार्य योजना तैयार की जाएगी। इसके लिए नीति आयोग, एम्स, पीजीआई और स्वास्थ्य विभाग मिलकर एक कार्य योजना तैयार करेंगे।

उन्होंने कहा कि चिट्टे के समूल नाश के लिए गांवों और पंचायतों में एंटी ड्रग समितियों के गठन के निर्देश दिए गए हैं, जिनमें पंचायत सचिव, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और एक पुलिस कांस्टेबल शामिल होंगे। पुलिस नशे से संबंधित जानकारी एकत्रित कर समिति के साथ साझा करेगी।

पुलिस अधीक्षक और थाना प्रभारी द्वारा पंचायत स्तर पर कांस्टेबलों की नियुक्ति, नियमित बैठकें और मासिक रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेजना सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह कार्य अविलंब शुरू किया जाएगा, ताकि नशे के खिलाफ समय पर कार्रवाई कर इस लड़ाई में जीत हासिल की जा सकती है।

ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार किए जा रहे हैं। जिसके फलस्वरूप हिमाचल प्रदेश विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में देश में पांचवें स्थान पर पहुंच गया है।

उन्होंने घोषणा की कि सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों के शिक्षक अब शैक्षणिक सत्र के मध्य में नहीं, बल्कि सत्र के अंत में सेवानिवृत्त होंगे। इनमें स्कूल, कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, आईटीआई, पॉलिटेक्निक कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज और नर्सिंग कॉलेज के शिक्षक शामिल हैं। उन्होंने राज्य में 200 सीबीएसई पाठ्यक्रम आधारित स्कूल खोलने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार युवाओं को रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। पिछले ढाई वर्षों के दौरान सरकारी क्षेत्र में 23,191 युवाओं को नौकरियां दी गई हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 5,452 शिक्षकों के पद भरे जा चुके हैं, जिनमें 1,788 जेबीटी, 759 व्यावसायिक शिक्षक, 650 पीजीटी, 599 टीजीटी (कला), 405 टीजीटी (नॉन-मेडिकल), 410 टीजीटी (मेडिकल), 205 शास्त्री, 175 भाषा अध्यापक और 458 ड्राइंग अध्यापक शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि आगामी समय में शिक्षा विभाग में 9,535 शिक्षकों के पद भरे जाएंगे। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में 51,425 युवाओं को रोजगार मिला है और अगले माह में 1,300 से अधिक युवाओं को पुलिस बल में भर्ती किया जाएगा। इसके अलावा पटवारी के 600 पद, जेबीटी के 600 पद, डॉक्टर के 200 पद और पंचायत सचिव के 300 पद भी भरे जाएंगे।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार लोगों को पारदर्शी शासन प्रदान कर रही है। गत ढाई वर्षों के कार्यकाल के दौरान हर स्तर पर पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेहनती बच्चों को उनके परिश्रम का सुखद फल मिलना महत्वपूर्ण है। पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर नौकरियों को बेचा जा रहा था।

इसे रोकने के लिए वर्तमान सरकार ने हिमाचल प्रदेश सबोर्डिनेट सर्विसिज सलेक्शन बोर्ड को भंग कर दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने कड़ा निर्णय लेते हुए भ्रष्टाचार के इस अड्डे को खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसके स्थान पर राज्य सरकार ने राज्य चयन आयोग की स्थापना की है। आयोग द्वारा पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं का आयोजित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार ने मेरिट आधारित चयन को बढ़ावा देने के लिए एक और महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि पूर्व में हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में अंतिम चयन केवल साक्षात्कार के अंकों के आधार पर किया जाता था, जबकि लिखित परीक्षा के अंक केवल परीक्षा उत्तीर्ण करने तक सीमित थे। इन्हें अंतिम मेरिट में शामिल नहीं किया जाता था। सरकार ने अब अंतिम मेरिट में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार दोनों के अंक जोड़ने का निर्णय लिया है, ताकि वास्तव में मेहनती परिक्षार्थियों को ही नौकरी मिले।

उन्होंने कहा कि सरकार परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। इसके दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है कि जो लोग नकल करेंगे या नकल करवाने में मदद करेंगे उन्हें तीन साल तक का कारावास होगा और इसके लिए सरकार अगले विधानसभा सत्र में विधेयक भी लाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल को देश का पहला हरित ऊर्जा राज्य बनाने का संकल्प लिया है। जनजातीय क्षेत्रों में 100 किलोवाट से एक मेगावाट तक के सोलर प्रोजेक्ट के लिए पांच प्रतिशत ब्याज सब्सिडी और गैर जनजातीय क्षेत्रों में चार प्रतिशत ब्याज सब्सिडी दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से बनने वाली बिजली की खरीद राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा की जाएगी, जिससे युवाओं के लिए निश्चित आय के स्रोत भी सृजित होंगे। इस योजना के लिए 61 करोड़ रुपये और बेरोजगार युवाओं के 2000 ई-थ्री-व्हीलर टैक्सी के परमिट जारी करने की घोषणा की।