नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जातिगत जनगणना की तिथियों की घोषणा कर दी है। ये दो चरणों में संपन्न होगी। जनगणना का पहला फेज 1 अक्तूबर, 2026 से शुरू होगा, जिसमें उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख जैसे चार पहाड़ी राज्यों को शामिल किया जाएगा।
इसके बाद 1 मार्च, 2027 से देश के अन्य हिस्सों में दूसरे फेज की प्रक्रिया शुरू होगी। इस पूरी कवायद को लगभग 3 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। जनगणना की औपचारिक अधिसूचना 16 जून, 2025 को जारी होने की संभावना है।
गृह मंत्रालय के अनुसार इस जनगणना के दौरान न केवल आर्थिक स्थिति से जुड़े आंकड़े जुटाए जाएंगे, बल्कि देश में विभिन्न जातियों की वास्तविक संख्या भी सामने आएगी। यह जानकारी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नीतियों के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
गौरतलब हो कि 2011 की जनगणना में भी जाति और उपजातियों का सर्वेक्षण करने का प्रयास किया गया था, लेकिन तब करीब 38 लाख जातियों और उपजातियों के आंकड़े सामने आने से एक जटिल स्थिति बन गई थी। उम्मीद है कि इस बार की डिजिटल जनगणना इस चुनौती को सफलतापूर्वक पार कर लेगी।
1872 में हुई थी पहली जनगणना
भारत में हर 10 साल बाद जनगणना होती है। पहली जनगणना 1872 में हुई थी। 1947 में आजादी मिलने के बाद 1951 में पहली जनगणना हुई थी। इसके बाद आखिरी जनगणना 2011 में की गई। उस वक्त भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ थी।