पंचायती राज चुनावों से भाग रही सुक्खू सरकार, संवैधानिक संस्था व सरकार में टकराव की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण: जमवाल

उन्होंने कहा है कि यदि सरकार ने आयोग की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बंद नहीं किया और समय पर निष्पक्ष पंचायती राज चुनाव नहीं कराए, तो पार्टी सड़कों से लेकर न्यायालय तक लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करेगी।

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शिमला : भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राकेश जमवाल ने राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव के तबादले को लेकर उत्पन्न टकराव पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह साफ हो चुका है कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की सरकार पंचायती राज चुनावों से डर रही है और उन्हें रोकने के लिए अब तानाशाही रवैया अपना रही है। संवैधानिक संस्था राज्य निर्वाचन आयोग के कामकाज में सीधा हस्तक्षेप कर सरकार उसकी निष्पक्षता को प्रभावित करना चाहती है, जो लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार इतनी असुरक्षित और असहज हो चुकी है कि उसे लोकतांत्रिक संस्थाओं से भी डर लगने लगा है। राजनैतिक दबाव का शिकंजा कसकर सरकार अब आयोग जैसे संवैधानिक निकाय को भी अपने नियंत्रण में लेना चाहती है।

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राकेश जमवाल ने कहा कि आयोग के अनुभवी सचिव सुरजीत राठौर को बिना किसी ठोस कारण हटाने का प्रयास और मुख्यमंत्री कार्यालय में अटैच सचिव हरीश गज्जू को अतिरिक्त प्रभार देकर आयोग पर थोपने की कोशिश यह साबित करती है कि सरकार का इरादा साफ नहीं है। मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े अधिकारी को आयोग का सचिव बनाना सीधे-सीधे आयोग की स्वायत्तता का गला घोंटने जैसा है। यह कदम इस आशंका को मजबूत करता है कि सरकार चुनाव प्रक्रिया पर राजनीतिक दबाव बनाना चाहती है ताकि पंचायत स्तर पर अपनी विफलताओं का सामना न करना पड़े।

जमवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार इतनी असुरक्षित और असहज हो चुकी है कि उसे लोकतांत्रिक संस्थाओं से भी डर लगने लगा है। राजनैतिक दबाव का शिकंजा कसकर सरकार अब आयोग जैसे संवैधानिक निकाय को भी अपने नियंत्रण में लेना चाहती है, जबकि आयोग ने बिल्कुल सही कदम उठाते हुए मुख्य सचिव को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि उसे स्वतंत्र सचिव चाहिए, न कि मुख्यमंत्री कार्यालय से नियंत्रित कोई अधिकारी। यह मांग स्वयं इस बात का प्रमाण है कि सरकार का रवैया पक्षपातपूर्ण और लोकतंत्र विरोधी है।

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उन्होंने कहा यह भी चिंताजनक है कि पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो रहा है और सरकार जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया को टालने की रणनीति पर काम कर रही है। पुनर्सीमांकन और मतदाता सूचियों का बहाना बनाकर चुनाव अप्रैल तक खिसकाने की तैयारी है, ताकि प्रशासकों के सहारे पंचायतों पर कब्जा बनाए रखा जा सके। कांग्रेस सरकार का यह आचरण संविधान की भावना और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

भाजपा मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग का इस मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटाना इस बात का संकेत है कि मामला कितना गंभीर हो चुका है। उन्होंने कहा है कि यदि सरकार ने आयोग की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बंद नहीं किया और समय पर निष्पक्ष पंचायती राज चुनाव नहीं कराए, तो पार्टी सड़कों से लेकर न्यायालय तक लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करेगी। कांग्रेस सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि तानाशाही हथकंडों से लोकतंत्र को बंधक नहीं बनाया जा सकता।

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