घाटे से उबारने के लिए किराया बढ़ाया और फिर रूट सरेंडर कर किसे फायदा पहुंचा रही सरकार : सीटू

आशीष कुमार ने कहा कि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और जनता के हित में काम करे।

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नाहन : सरकारी परिवहन को बंद करने के सरकार के फैसले को लेकर लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है। जिला सिरमौर में एचआरटीसी के दो दर्जन के करीब रूट निजी ऑपरेटरों को सरेंडर करने के फरमानों की सीटू की जिला सिरमौर कमेटी ने कड़ी निंदा की है।

सीटू के जिला महासचिव आशीष कुमार ने कहा कि इससे पूर्व नाहन-टोंडा रूट पर सरकारी बस सेवा को बंद करना भी एक गलत फैसला था। साफ तौर पर जाहिर है कि प्रदेश सरकार प्राइवेट बसों को बढ़ावा देने और उन्हें फायदा पहुंचाने का प्रयास कर रही है, जो क्षेत्र की जनता के दुःख और पीड़ा को बढ़ाने का काम करेगा।

आशीष कुमार ने कहा कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं, बल्कि कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से जनता की सेवा करना होना चाहिए। सरकार जिस तरह इन रूटों को घाटे के रूट बता कर बंद करने का काम कर रही है तो वह पूछना चाहते हैं कि लाखों के वेतन और भत्ते लेने वाले विधायक मंत्री इतने वेतन के बदले सरकार को कौन सा फायदा पहुंचा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि मंत्री, विधायकों के सरकारी खर्चों में कमी करके उस पैसे को जन कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च करना चाहिए। जब रूट घाटे के हैं तो इस क्षेत्र के लोगों के वोट पर भी इस सरकार ने अपना अधिकार खो दिया है।

आशीष ने कहा कि दो दर्जन रूटों को बंद करने का मतलब है, सरकारी रोजगार के अवसर और परिवहन को खत्म करना। हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य में यातायात का कोई और साधन नहीं है और न ही हो सकता। इसलिए ये एक सोची समझी साजिश के तहत पहले बस का किराया बढ़ाकर रूटों को बंद करना HRTC को नहीं, बल्कि प्राइवेट ऑपरेटरों को फायदा पहुंचाना था।

आशीष कुमार ने कहा कि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और जनता के हित में काम करे। सीटू जिला सिरमौर कमेटी ने सरकार से एचआरटीसी बसों के बंद करने के फैसले को वापस लेने, प्राइवेट बसों को बढ़ावा देने के बजाय सरकारी परिवहन को मजबूत करने और मंत्री, विधायकों व सरकारी खर्चों में कमी करके कल्याणकारी योजनाओं पर पैसा खर्च किया जाए।