सिविल सेवा दिवस 2025 : निःस्वार्थ सेवा और सुशासन के सारथियों का अभिनंदन

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    ज देशभर में “सिविल सेवा दिवस” पूरे सम्मान और गर्व के साथ मनाया जा रहा है. यह दिन उन सभी प्रशासनिक अधिकारियों को समर्पित है जो निःस्वार्थ भाव से देश की सेवा करते हुए शासन प्रणाली को मजबूत करने में जुटे हैं. प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपालों और विभिन्न मंत्रालयों द्वारा जारी शुभकामनाओं के साथ इस दिन को विशेष रूप से चिह्नित किया गया.

    इतिहास की झलक
    21 अप्रैल 1947 को भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय सिविल सेवा के पहले बैच को संबोधित करते हुए कहा था, “अगर आप इस डर से सही राय नहीं देते कि मंत्री नाराज हो जाएगा, तो आप यहां से चले जाइए.”

    इसी भाषण को आधार मानते हुए 2006 से भारत सरकार ने 21 अप्रैल को “सिविल सेवा दिवस” के रूप में मनाना शुरू किया. सरदार पटेल ने सिविल सेवकों को भारत की “Steel Frame” कहा था, जो आज भी प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं.

    नवाचार से राष्ट्र निर्माण तक
    वर्ष 2025 के सिविल सेवा दिवस पर देश के विभिन्न राज्यों में कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों को प्रधानमंत्री पुरस्कार (PM’s Awards for Excellence in Public Administration) से सम्मानित किया गया. इस वर्ष “सशक्त प्रशासन, सशक्त राष्ट्र- विकसित भारत @2047” विषय रखा गया था.

    प्रमुख पहलें
    Aspirational District Programme के अंतर्गत नवाचारों की प्रस्तुति
    Digital Governance पर पैनल चर्चा
    जन-भागीदारी आधारित सफलता की कहानियां
    महिला अधिकारियों की विशेष भागीदारी और सम्मान

    सिविल सेवकों की भूमिका
    भारत में सिविल सेवक नीति निर्माण, कार्यान्वयन, कानून-व्यवस्था, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. वे केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक सेतु का कार्य करते हैं.

    विशेष रूप से IAS, IPS, IFS, IRS और राज्य सेवाओं के अधिकारी दूर-दराज क्षेत्रों में भी सरकार की योजनाओं को आम जन तक पहुंचाने में लगे हुए हैं.

    आधुनिक चुनौतियां और समाधान
    राजनीतिक हस्तक्षेप, संसाधनों की सीमाएं, डिजिटल बदलाव की गति, जलवायु परिवर्तन व शहरीकरण मुख्य चुनौतियां हैं. जबकि, ई-गवर्नेंस: मिशन कर्मयोगी और डिजिलॉकर जैसी पहल, AI और Data Analytics: नीति निर्माण को अधिक वैज्ञानिक बनाना, सामुदायिक भागीदारी: Bottom-up मॉडल को बढ़ावा देना उभरते समाधान हैं.

    विशेषज्ञों की राय
    प्रो. सुनील कुमार, प्रशासनिक विशेषज्ञ कहते हैं कि “आज का सिविल सेवक सिर्फ फाइलों का अधिकारी नहीं, बल्कि जन संवाद, नवाचार और प्रभावी सेवा वितरण का स्तंभ बन चुका है.”

    PM Excellence Awardee कहती हैं, “जनता का विश्वास ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है. सिविल सेवा मेरे लिए एक अवसर है, देश के लिए कुछ सार्थक करने का.”

    विकसित भारत @2047 और सिविल सेवा की दिशा
    भारत सरकार ने 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस दिशा में सिविल सेवकों की भूमिका निर्णायक होगी, जैसे 100% सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण, हर गांव तक गुणवत्तापूर्ण सेवायें, टिकाऊ और समावेशी विकास का रोडमैप,नवाचार आधारित प्रशासन इत्यादि.

    निष्कर्ष: सेवा ही धर्म
    सिविल सेवा दिवस केवल एक रस्म नहीं, यह राष्ट्र सेवा के उस धर्म की स्मृति है जो हर अधिकारी के भीतर जीवित है. देश को प्रगति की ओर ले जाने वाले इन नायकों का समर्पण “विकसित भारत @2047” की नींव है. देश को गर्व है अपने इन कर्मयोगियों पर.

    लेखक: ✍🏻 डॉ पंकज चांडक
    सहायक आचार्य इतिहास, पीजी कालेज नाहन