नाहन : शहद उत्पादन बढ़ाने के मकसद से क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं में चल रहे सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के तीसरे दिन किसानों को वैज्ञानिकों ने कई अहम जानकारियां प्रदान की।
शिविर के मुख्य अतिथि डॉ. धीरेंद्र सह निदेशक पहाड़ी कृषि अनुसंधान एवं विस्तार केंद्र धौलाकुआं, चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने केंद्र की शोध व प्रसार संबंधी योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन न केवल शुद्ध शहद प्राप्त करने का स्त्रोत है, बल्कि यह फल, फूल और सब्जी जैसी फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि का महत्वपूर्ण साधन हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन किसानों की आर्थिक समृद्धि का रास्ता बन सकता हैं।
प्रशिक्षण शिविर समन्वयक डॉ. शिल्पा ने किसानों को इस प्रशिक्षण का उद्देश्य बताते हुए कहा कि मधुमक्खी पालन के वैज्ञानिक तरीकों, उपकरणों, प्रबंधन, शहद निष्कर्षण एवं विपणन की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करवाई जाएगी, ताकि इससे एक स्वतंत्र आजीविका के स्रोत के रूप में अपनाकर किसान आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।
क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं की सह निदेशक डॉ. प्रियंका ठाकुर ने बताया कि शिविर के पहले दिन मधुमक्खी विशेषज्ञ डॉ. दीपिका शर्मा ने मधुमक्खी पालन का परिचय, चयन और प्रबंधन के बारे में किसानों को बताया। उन्होंने कहा कि मधुमक्खियों को पालकर उनसे शहद, मोम, रॉयल जैली, पराग और बी वैनेम जैसे उपयोगी उत्पाद प्राप्त किए जाते हैं। इसके साथ-साथ मधुमक्खियां फसलों के परागण में सहायक होती हैं, जिससे पैदावार बढ़ती है।
डॉ. मंजु ने किसानों को प्रमुख योजनाओं जैसे कि राष्ट्रीय मधुमक्खी एवं शहद मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना एवं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के बारे में अवगत करवाया। उन्होंने किसानों से इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की।
दूसरे दिन किसानों को जंगली फलों के बगीचे और अमरुद के बगीचों में भ्रमण कराया गया। इसमें किसानों को ड्रैगन फ्रूट, आंवला, फिग, फालसा, लोकाट, बेल के पौधों और उनके फूल और परागण के तरीकों को विस्तार से बताया गया।
इसी दौरान डॉ. बी.एम. चौहान खाद्य प्रौद्योगिकीविद बागवानी विभाग ने किसानों को मधुमक्खी मोम के निष्कर्षण और प्रसंस्करण के तरीकों से किसानों को अवगत करवाया। डॉ. अमित बक्शी बागवानी विकास अधिकारी पांवटा साहिब ने किसानों को सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन के लिए तकनीकी, वित्तीय और प्रशिक्षण सहायता प्रदान करने वाली अलग-अलग योजनाओं से अवगत करवाया।
प्रशिक्षण के तीसरे दिन प्रसिद्ध मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ डॉ. राज कुमार ठाकुर प्रमुख वैज्ञानिक ने अपने विचार सांझा किए। उन्होंने मधुमक्खी पालन में रानी मधुमक्खी को तैयार करने की नई-नई तकनीकों के बारे में किसानों को बताया। कहा कि ये तकनीकें न केवल कॉलोनी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए जरुरी हैं, बल्कि शुद्ध नस्ल की रानियां तैयार कर अच्छी गुणवत्ता वाली मधुमक्खी कॉलोनी बनाई जा सकती हैं।
इस दौरान किसानों को केंद्र की फल व फूल नर्सरी और अन्य पौधों के प्रदर्शन ब्लॉक में भ्रमण भी करवाया गया। इस दौरान क्षेत्र सहायक राकेश कुमार समेत सभी फील्ड के कर्मचारी भी मौजूद रहे। प्रशिक्षण शिविर 22 जून को संपन्न होगा।