Advisory: सर्दियों में पाला प्रभावित कर सकता है आपकी बागवानी, ऐसे करें बचाव

क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र, धौलाकुआं (सिरमौर) ने पाले से फसलों व बगीचों को बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है. केन्द्र की ओर से बागवानों व किसानों को सर्दियों में पाले के प्रभाव से होने वाले नुक्सान को रोकने के लिए शुरुआत से ही सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी गई है.

0

नाहन : बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार बागवानों को सरकार और किसान सेवा केंद्र द्वारा मौसम के पूर्वानुमानों पर नजर रखने और समन्वय से फसलों को नुक्सान से बचाने के लिए अग्रिम रणनीति की योजना बनाने में मदद मिल सकती है. सुरक्षा में वे विधियां शामिल हैं, जिन्हें पाले के प्रभाव से बचाने में मदद के लिए लागू किया गया है.

पैडी स्ट्रा से ढककर और मल्चिंग करके पाले से सुरक्षित किए गए कॉफी के बागान

जारी सुझावों के अनुसार पौधों का पोषण प्रबंधन उचित समय पर किया जाना चाहिए. उचित छंटाई से हवा के बेहतर संचालन और सौरकरण में मदद मिल सकती है. वहीं, पौधों को पॉली शीट या शैड नेट से ढका जाना चाहिए. इसके साथ साथ सर्दियों के अंत में मिट्टी की जुताई से बचना चाहिए. जब पाले की संभावना अधिक हो तो पौधों में नमी करने के लिए हल्की सिंचाई करनी चाहिए. फसलों को पत्तियों, घास या पुआल के साथ मिट्टी को ढकना जरूरी है और उपयुक्त समय पर ही रोपण करना चाहिए.
इसके साथ साथ वार्षिक फसलों की बुआई के समय का प्रबंधन करना जरूरी है. रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन भी बेहद महत्वपूर्ण है. सर्दियों में फसलों को प्रभावित करने वाली बीमारियों के लिए सुरक्षात्मक स्प्रे पहले से ही करना चाहिए, ताकि किसी भी नुकसान से बचा जा सके.

शैड नेट और इवनिंग इरिगेशन करके पाले से संरक्षित की गई आम के पौधों की नर्सरी

इन तरीकों से करें पाले से बचाव
आम: ये पेड़ पाले के प्रति संवेदनशील होते हैं, खासकर जब वे छोटे होते हैं. ठंडे तापमान से उन्हें गंभीर नुक्सान हो सकता है. पेड़ को ढकने के लिए फ्रॉस्ट कपड़े का उपयोग करें. सुनिश्चित करें कि कवर जमीन को छूता हो और ठंडी हवा को प्रवेश करने से रोकने में मददगार हो. इससे पेड़ के चारों ओर गर्म हवा का एक क्षेत्र बन जाता है. आम के पेड़ ठंडी हवा के प्रति संवेदनशील होते हैं. पेड़ को तेज, ठंडी हवाओं से बचाने के लिए जाली का उपयोग करें.

कॉफी: ये पौधे भी ठंड के प्रति संवेदनशील होते हैं. खासकर जब वे युवा और छोटे हों. पौधों को ढकने के लिए फ्रॉस्ट कपड़े का उपयोग करें. कॉफी के पौधे की जड़ों को मल्च करें. पौधे के आधार के चारों ओर घास (पुआल, पत्तियां, या लकड़ी के टुकड़े) की एक मोटी परत लगाएं. यह जड़ों को ठंड से बचाने में मदद करता है. यदि आपके कॉफी के पौधे कंटेनरों में हैं तो उन्हें किसी गर्म स्थान या ग्रीन हाउस में ले जाएं.

ड्रैगन फ्रूट: ये उष्णकटिबंधीय कैक्टस है, जो पाले से होने वाले नुक्सान के प्रति संवेदनशील हो सकता है. इसके पौधों को ढकने के लिए फ्रॉस्ट कपड़े या कंबल का उपयोग करें. बड़े पौधों के लिए मिनी ग्रीन हाउस प्रभाव बनाने के लिए एक प्लास्टिक शीट को फ्रेम के ऊपर लपेटा जा सकता है. जड़ क्षेत्र को गर्म रखने के लिए पौधे के बेस को बर्लेप या कंबल जैसी इंसुलेटिंग सामग्री से लपेटें. गमले में लगे पौधों को घर के अंदर लाएं. यदि ड्रैगन फ्रूट किसी कंटेनर में है तो इसे घर के अंदर किसी सुरक्षित, गर्म स्थान जैसे किसी शैड या ग्रीन हाउस में ले जाएं.

डहलिया: इन पौधों को घास, पुआल या पत्तियों की मोटी परत से ढक दें. डहलिया के चारों ओर एक फ्रेम बनाएं और इसे मिनी ग्रीन हाउस के रूप में कार्य करने के लिए प्लास्टिक या कपड़े से ढक दें. इससे कुछ गर्माहट मिलेगी और पाले को सीधे पौधे पर जमने से रोका जा सकेगा.

अफ्रीकी गेंदा: ये हल्की ठंड को सहन कर सकते हैं, लेकिन अत्याधिक ठंड में उन्हें नुकसान हो सकता है. गेंदे के फूलों की सुरक्षा के लिए पौधों को घास, पुआल या पत्तियों की मोटी परत से ढक दें या पंक्ति कवर का उपयोग करें. उन्हें पूरी तरह से ढकना सुनिश्चित करें और कपड़े को जमीन पर टिका दें. यदि गेंदे गमलों में हैं तो उन्हें अंदर लाएं या ठंड के दौरान किसी सुरक्षित, गर्म स्थान पर ले जाएं.

– आम, कॉफी, डहलिया, ड्रैगन फ्रूट और अफ्रीकी गेंदा जैसे पौधों को ठंड से बचाना बेहद जरूरी है, क्योंकि ये पौधे ठंड के तापमान के प्रति संवेदनशील होते हैं. नर्सरी पौधों और 2-3 वर्ष के बागवानी पौधों को भी पाले से बचाने की तत्काल आवश्यकता है. बागवान पाला पड़ने से एक रात पहले अपने पौधों को सुरक्षित कर लें, क्योंकि ये आम तौर पर रात और सुबह के समय बनता है.
पाले की घटनाओं का अनुमान लगाने के लिए स्थानीय मौसम के पूर्वानुमानों पर नजर रखें. अपने पौधों के आसपास की मिट्टी में पानी देने से जड़ों को बचाने में मदद मिल सकती है और ठंड से उन्हें नुक्सान पहुंचने से रोका जा सकता है. इन तकनीकों के संयोजन का उपयोग कर किसान व बागवान फसलों पर ठंड से होने वाले नुक्सान को कम कर सकते हैं.
– डा. प्रियंका ठाकुर, सह निदेशक (अनुसंधान और विस्तार) क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं (सिरमौर)