नाहन: जिला सिरमौर में ड्राई स्पैल दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है. इसका फसलों पर भी विपरीत असर पड़ रहा है. इस बीच हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने दिसंबर माह के दूसरे पखवाड़े में किए जाने वाले कृषि संबंधी कार्यों की एडवाइजारी की है, जिसे अपनाकर जिला सिरमौर के किसान लाभ उठा सकते हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर (धौलाकुआं) के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डा. पंकज मित्तल ने बताया कि प्रदेश के निचले क्षेत्रों में जहां पर गेहूं की बुआई नवंबर माह में की गई हो और खरपतवारों में 2-3 पत्तियां आ गई हों, तो खरपतवार नियंत्रण के लिए वेस्टा (मेटसल्फयूरॅान मिथाईल 20 डब्ल्यूपी क्लोडिनाफॅाप प्रोपार्जिल 15 डब्ल्यूपी) 16 ग्राम प्रति 30 लीटर पानी या क्लोडिनाफॅाप की 24 ग्राम (10 डब्ल्यूपी) या 16 ग्राम (15 डब्ल्यूपी) व 2, 4-डी की 50 ग्राम मात्रा 30 लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. 2, 4-डी का छिड़काव क्लोडिनाफॅाप के छिड़काव के 2-3 दिन के बाद करें. यदि गेहूं के साथ चौड़ी पत्ती वाली फसल की खेती की गई हो तो 2, 4-डी रसायन का प्रयोग न करें.
इसके अलावा दलहनी और तिलहनी फसलों में अगर खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायन का प्रयोग न किया गया हो तो यह समय इन फसलों में निराई-गुड़ाई करने का है. उन्होंने बताया कि मध्यवर्ती क्षेत्रों में आलू की बुआई के लिए उन्नत किस्मों जैसे कुफरी ज्योति, कुफरी गिरीराज, कुफरी चंद्रमुखी इत्यादि का चयन करें. बुआई के लिए स्वस्थ, रोग रहित, साबुत या कटे हुए कंद, वजन लगभग 30 ग्राम, जिनमें कम से कम 2-3 आंखें हों, का प्रयोग करें.
बुआई से पहले कंदों को डाईथेन एम-45 (25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) के घोल में 20 मिनट तक उपचारित करें. कंद को छाया में सूखाने के बाद अच्छी तरह से तैयार खेत में 45-60 सेंटीमीटर पंक्तियों की दूरी एवं 15-20 सेंटीमीटर के अंतर पर बुआई करें. आलू में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राटाफ 60 ग्राम या एरेलान ध्ग्रामिलोन 70 ग्राम या गोल 40 मिली लीटर को 30 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है.
प्याज की ऐसे करें रोपाई, इन सब्जियों की निराई-गुड़ाई
प्रदेश की निचले एवं मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में प्याज की तैयार पौध की रोपाई 15-20 सेंटीमीटर पंक्तियों और 5-7 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी पर करें. रोपाई के बाद खेतों में हल्की सिंचाई करें. इसके अतिरिक्त खेतों में लगी हुई सभी प्रकार की सब्जियों जैसे फूलगोभी, बंदगोभी, गांठगोभी, ब्रोकली, चाईनीज बंदगोभी, पालक, मेथी, मटर व लहसुन इत्यादि में निराई-गुड़ाई करें.
ऐसे किया जा सकता है फसलों का संरक्षण
सरसों वर्गीय तिलहनी फसलों अथवा गोभी वर्गीय सब्जियों में तेले या एफिड के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 50 ई.सी. 30 मिलीलीटर/30 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. गोभी वर्गीय सब्जी फसल में एफिड एवं कैटरपिलर के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 50 ईसी की 30 मिलीलीटर रसायन को 30 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
सुंडी के प्रकोप से रहे सावधान
प्रदेश के क्षेत्रों में किसान चने की फसल में फली छेदक सुंडी के प्रकोप के प्रति सावधान रहें. हरे रंग की सुंडियां फसल पर प्रकट होते ही साइपरमिथरिन 1 मिलीलीटर पानी का छिड़काव करें और चने की सुंडी के लिए फेरोमोन ट्रैप के 25 ट्रैप/हैक्टयर लगाएं.
अधिक जानकारी के लिए यहां करें संपर्क
डा. मित्तल ने किसानों से आग्रह किया कि अपने क्षेत्रों की भौगोलिक और पर्यावरण परिस्थितियों के अनुसार अधिक एवं उपयोगी जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर से संपर्क करें. कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के कृषि तकनीकी सूचना केंद्र 01894-230395/1800-180-1551 से भी संपर्क किया जा सकता है.