नाहन : चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने सितंबर महीने के दूसरे पखवाड़े के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण कृषि कार्य करने की सलाह दी है। ये वैज्ञानिक तरीके अपनाकर किसान खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, चारा और सब्जियों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल के मुताबिक इन सलाहों का पालन करने से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
* धान: बाली बनने की शुरुआती अवस्था में प्रति हेक्टेयर 15 से 30 किलोग्राम यूरिया (नाइट्रोजन) की आखिरी मात्रा डालें। यह ध्यान रखें कि खेत में 2-3 सेंटीमीटर से ज्यादा पानी न हो।
* तिल: जब पत्तियां पीली होकर गिरने लगें और फलियों का रंग हल्का पीला हो जाए, तो फसल की कटाई कर लें। कटाई में देरी करने पर फलियां चटक सकती हैं, जिससे नुकसान हो सकता है।
* मक्का: जब भुट्टों की पत्तियां सूखने लगें और दाना सख्त हो जाए, तब मक्के की कटाई करें। कटाई के तुरंत बाद तोरिया की फसल लगाई जा सकती है, जिससे किसान गेहूं की बुआई से पहले एक अतिरिक्त फसल से मुनाफा कमा सकते हैं।
* सोयाबीन और सूरजमुखी: अगर बारिश न हो तो फूल और फलियां बनते समय आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें।
* बरसीम: चारे की फसल के रूप में बरसीम की बुआई के लिए यह सही समय है।
- सब्जी उत्पादन की वैज्ञानिक विधियां
- गोभी वर्गीय सब्जियां
* फूलगोभी: निचले पहाड़ी क्षेत्रों में पालम उपहार, इम्प्रूव्ड जैपनीज और मेघा जैसी मध्यम किस्मों की पौध लगाएं। इसके लिए खेत में गोबर की खाद और उर्वरक जैसे इफको (12:32:16), म्यूरेट-ऑफ-पोटाश और यूरिया मिलाएं।
* पिछेती और संकर किस्में: किसान पूसा स्नोबॉल-16, पूसा सुभ्रा, श्वेता, माधुरी (फूलगोभी), प्राइड ऑफ इंडिया, गोल्डन एकड़, वरुण (बंदगोभी), व्हाइट वियाना (गांठ गोभी), और पालम समृद्धि (ब्रोकली) जैसी किस्मों की बुआई कर सकते हैं।
* नर्सरी: नर्सरी तैयार करते समय क्यारी की मिट्टी में गोबर की खाद, इफको (12:32:16), फफूंदनाशक (जैसे इंडोफिल एम 45) और कीटनाशक (जैसे थीमेट) मिलाएं।
अन्य सब्जियां
* पालक और मेथी: निचले पहाड़ी क्षेत्रों में पूसा हरित (पालक) और पालम सौम्या (मेथी) जैसी किस्मों की बुआई 25-30 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों में करें।
* मटर: मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में मटर की अगेती किस्में जैसे पालम त्रिलोकी, अर्केल, वीएल-7 की बुआई के लिए यह उचित समय है। मटर अगेता की बिजाई 30 एवं 7.5 सैंटीमीटर की दूरी पर करें। बिजाई के समय 200 क्विंटल गोबर की सड़ी-गली खाद के अतिरिक्त 185 किलोग्राम इफको (12:32:16) मिश्रण खाद और 50 किलोग्राम म्यूरेट-आफॅ-पोटाश प्रति हेक्टेयर खेत में डालें।
* इन्हीं क्षेत्रों में फूलगोभी की पिछेती किस्म, बंदगोभी, गांठ गोभी, मूली, शलगम, गाजर, पालक, मेथी की बिजाई का भी उचित समय चल रहा है।
धान में विभिन्न कीटों से ऐसे होगी रोकथाम
प्रधान वैज्ञानिक डॉ मित्तल ने बताया कि धान में तना छेदक कीट के आक्रमण की स्थिति में पौधे का मुख्य तना सूख जाता है। सफेद बालियां बनती है। नियंत्रण के लिए नोवाल्यूरॉन 5.25 प्रतिशत, इमामेकटीन बैनजोएट 0.9 प्रतिशत की 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। 5 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर लेम्डा साइहैलोथ्रिन 0.8 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
इसके अलावा धान की फसल में पत्ता-लपेट कीट के नियंत्रण के लिए कीटग्रस्त पत्तों को काट दें और खेत व मेढ़ों से घास आदि निकाल दें। कीट का प्रकोप होने पर क्लोरपाईरीफॉस 20 ई.सी., 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। वहीं धान में हिस्पा कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरपाईरीफॉस 20 ई.सी., 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।
इन सब्जियों का ऐसे होगा संरक्षण
एडवाइजरी के मुताबिक बैंगन में तना एवं फल छेदक सुंडियों व करेला में हड्डा बीटल एवं पत्ते खाने वाली विभिन्न प्रकार की सुंडियों का प्रकोप होने पर साइपरमैथ्रिन 10 ई.सी., 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर या इमामेक्टिन बेंजोइट 0.4 मिलीलीटर प्रति लीटर का छिड़काव करें।
गोभी वर्गीय सब्जियों के नर्सरी तैयार करते समय कमरतोड़ बीमारी बहुत नुकसान पहुंचाती है। बीज अंकुरण के बाद ही पौध कमर से टूटकर जमीन पर गिर जाता है। लिहाजा बिजाई से पूर्व फार्मलीन 1लीटर को 10 लीटर पानी में घोलकर क्यारी की मिटटी को शोधित करें। नर्सरी पौध में मैनकोजेब 2.5 ग्राम एवं कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर ड्रैचिंग करें
महत्वपूर्ण संपर्क
डा. पंकज मित्तल ने बताया कि अधिक जानकारी के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। कृषि तकनीकी सूचना केंद्र (ATIC) के हेल्पलाइन नंबर 01894-230395 या 1800-180-1551 पर भी कॉल किया जा सकता है।





