सोलन : आतमा परियोजना सोलन की उप परियोजना निदेशक डा. प्रियंका कंडवाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत सोलन जिला के किसान प्राकृतिक खेती अपनाकर न केवल जहरमुक्त खेती को नकार रहे हैं, बल्कि पेस्टीसाइड पर होने वाले खर्चे को भी खत्म कर रहे हैं.
वीरवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब तक जिला सोलन के 12,670 किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं और 1915 हेक्टेयर भूमि पर मक्का, मूंग, उड़द सहित नगदी फसलों टमाटर, शिमला मिर्च, भिंडी, अदरक, फ्रासबीन आदि की खेती कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी 15 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है. किसानों को समर्थन मूल्य के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं.
डा. प्रियंका ने बताया कि किसानों व बागवानों के व्यापक कल्याण एवं समृद्धि के लिए खेती की लागत को कम करने, आय एवं उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने 9 मार्च, 2018 से प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की शुरुआत की थी.
मानव व पर्यावरण पर रसायनिक खेती के पड़ने वाले दुष्प्रभावों से बचाने और पर्यावरण व बदलते जलवायु परिवेश के समरूप कृषि का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस योजना के सफल परिणाम देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में किसान-बागवान विविध फसलों व फलों को प्राकृतिक खेती से सफलतापूर्वक उगा रहे हैं.
किसानों द्वारा इस विधि को अपनाने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की 35,584 पंचायतों में 2 लाख 15 हजार से अधिक किसान 37 हजार हेक्टेयर भूमि में प्राकृतिक खेती से विविध फसलें ले रहे हैं. इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के उत्पादों को प्राथमिकता के आधार पर खरीदने के साथ गेहूं व मक्का के लिए सबसे अधिक 40 और 30 रुपए का समर्थन मूल्य तय किया है.
इसके तहत प्रत्येक प्राकृतिक खेती किसान परिवार से 20 क्विंटल तक अनाज खरीदा जा रहा है. 12,670 किसानों ने विधिवत रूप से प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण डा. कंडवाल ने बताया कि प्रदेश की तर्ज पर जिला सोलन में इस परियोजना को परियोजना निदेशक आतमा की देखरेख में लागू किया गया है.
जिला में अभी तक 620 प्रशिक्षण शिविर लगाए जा चुके हैं और 13077 किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है. इसमें से 12670 किसानों ने विधिवत रूप से प्राकृतिक खेती को अपना लिया है. इन किसानों को सितारा पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण व प्रमाणीकरण किया जाता है. जिला में अभी तक 10 हजार किसानों को प्रमाणित किया जा चुका है.
खरीफ मौसम में टमाटर, शिमला मिर्च, भिंडी, फ्रांसबीन, अदरक, मक्का, मूंग, उड़द सहित रबी में गेहूं, चना, मदर, लहसुन, गोभी, सरसों, आलू, मूली, पालक, धनिया आदि की खेती की जा रही है. डा. प्रियंका ने जिला के किसानों का आह्वान किया कि वे रासायनिक खेती को दरकिनार कर प्राकृतिक खेती को अपनाएं.
इस अवसर पर मौजूद उप परियोजना निदेशक (आतमा) सोलन लीज़ा राठौड़, विभाग के सुरेश के अलावा प्रगतिशील किसान शैलेंद्र शर्मा, संजीव ठाकुर, बालकृष्ण व राजेंद्र प्रकाश ने भी अपने प्राकृतिक खेती के अनुभवों को मीडिया के समक्ष साझा किया.