नाहन : जिला सिरमौर के किसानों से इसी वर्ष अप्रैल-मई माह में कृषि विभाग द्वारा खरीदे गए गेहूं के बीज का 3.12 करोड़ रुपए का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। इससे किसानों में भारी रोष पनप रहा है।
जानकारी के अनुसार कृषि विभाग ने इस वर्ष पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों के कुल 423 किसानों से 13,716 क्विंटल गेहूं का बीज खरीदा था, जिसकी कुल राशि 4.92 करोड़ रुपए बनती है।
इसमें से अब तक केवल 1.80 करोड़ रुपए का ही भुगतान हो पाया है। इस राशि से 108 किसानों का भुगतान तो हो गया, लेकिन 315 किसानों का भुगतान अब भी लटका है। यानी 3.12 करोड़ रुपए का भुगतान अभी शेष है।
बता दें कि पांवटा साहिब सिरमौर का एक प्रमुख कृषि क्षेत्र है, जहां गेहूं और धान मुख्य फसलें हैं। कृषि विभाग किसानों को उनकी अच्छी गुणवत्ता वाले बीज के लिए भुगतान करता है, जो सरकारी सहायता से चलता है। किसानों को उम्मीद थी कि उन्हें समय पर उनके बीज का भुगतान हो जाएगा, लेकिन अब भी बड़ी राशि अटकी हुई है।
इस देरी से किसानों की आर्थिक स्थिति पर सीधा असर पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें अगली फसल की बुवाई और अन्य कृषि संबंधी खर्चों के लिए पैसे की जरूरत होती है।
समय पर भुगतान न मिलने से किसानों में सरकार और कृषि विभाग के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। प्रदेश सरकार ने किसानों से 3200 रुपए और 3400 रुपए प्रति क्विंटल रेट के हिसाब से बीज के गेहूं की खरीद की थी।
मुख्यमंत्री को एसडीएम की मार्फत भेजा ज्ञापन
किसानों से खरीदे गए गेहूं के बीज का भुगतान न होने से नाराज किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को विधायक एवं पूर्व ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के नेतृत्व में SDM पांवटा साहिब गुंजीत सिंह चीमा से मिले। इस मौके पर किसानों ने उन्हें मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा।
किसान रंगीलाल, सुरेंद्र कुमार, राहुल चौधरी, राजाराम, रोशन लाल, हुसैन मोहम्मद, भोज सिंह, रविंद्र कुमार, सुनील परमार, तोताराम शर्मा, दीपचंद पुंडीर, दिनेश नेगी, बलवीर सिंह, सुभाष चौधरी, अनुज भंडारी, रोहित चौधरी, अजय मेहता, बलबीर सिंह, देवेंद्र चौधरी, निर्मल कौर व देवराज चौहान आदि ने बताया कि उनका कृषि ही मुख्य व्यवसाय है।
धान की फसल की हाल ही में रोपाई की गई है, जिसमें अब खाद डालने का समय है, लेकिन किसानों का भुगतान लटकने से वह खाद भी नहीं खरीद पा रहे हैं। किसानों ने कहा कि उनके परिवार का पालन-पोषण कृषि पर ही निर्भर है।
उन्होंने कृषि विभाग और सरकार से जल्द से जल्द बकाया भुगतान जारी करने की मांग की, ताकि वे अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकें और बिना किसी बाधा के अपनी कृषि गतिविधियों को जारी रख सकें।