अब सिंचाई नहर में तैरते मिले ‘नागराज’, स्नैक कैचर भूपेंद्र सिंह ने 10 फीट लंबे किंग कोबरा को किया रेस्क्यू, दहशत में ग्रामीण

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नाहन : वन मंडल पांवटा साहिब के तहत कोटड़ी ब्यास पंचायत के ब्यास गांव में एक बार फिर ‘किंग कोबरा‘ की साइटिंग हुई है. इस मर्तबा नागराज गांव में किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए बनी नहर में तैरते नजर आए. स्थानीय स्नैक कैचर की मदद से नागराज को रेस्क्यू किया गया, जिसके बाद वन विभाग ने इसे सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया.

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    2 सप्ताह के भीतर ब्यास गांव में नागराज की तीसरी बार साइटिंग हुई है. इससे पहले भी भूपेंद्र सिंह और वन विभाग की टीम 2 मर्तबा नागराज को रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ चुकी है. गांव में बार-बार किंग कोबरा की हो रही साइटिंग से क्षेत्र के ग्रामीण भी दहशत में है.

जानकारी के अनुसार किंग कोबरा ने कोटड़ी ब्यास में पुनः दस्तक दी. ग्रामीणों ने तुरंत इसकी सूचना स्थानीय निवासी एवं स्नैक कैचर भूपेंद्र सिंह को दी. सूचना मिलते ही भूपेंद्र तुरंत मौके पर पहुंचे, तो देखा कि नागराज स्थानीय सिंचाई नहर में तैर रहे हैं. इस पर भूपेंद्र ने स्नैक कैचर स्टिक से नागराज को नहर से बाहर निकाला और फिर सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू कर बोरी में बंद कर दिया. मौके पर काफी संख्या में ग्रामीण भी मौजूद रहे.

10 फीट से अधिक लंबा था किंग कोबरा, वजन भी जांचा
बोरी में बंद करने से पहले स्नैक कैचर भूपेंद्र ने नागराज की पैमाइश की, तो वह 10 फीट 3 इंच पाई गई. बाद में बोरी में बंद कर नागराज का वजन किया गया, जो बोरी सहित 3 किलो 168 ग्राम का निकला. इसके बाद भूपेंद्र ने नागराज को वन विभाग के सुपुर्द कर दिया और विभागीय टीम ने इसे जंगल के काफी अंदर सुरक्षित छोड़ दिया.

तीनों बार एक ही किंग कोबरा की दस्तक!
हालांकि, नागराज के रेस्क्यू किए जाने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली, लेकिन गांव से ही पिछले चंद दिनों में ही तीन बार किंग कोबरा की साइटिंग से लोग काफी सहमे हुए है. हालांकि स्पष्ट नहीं है, लेकिन अनुमान यही लगाया जा रहा है कि तीन बार रेस्क्यू किया जा चुका किंग कोबरा एक ही सांप है, जो बार-बार दस्तक दे रहा है.

हिमाचल में लगातार तीसरी बार सफल रेस्क्यू
बता दें कि किंग कोबरा की जून 2021 में पहली बार कोलर के फांदी गांव में साइटिंग हुई थी. बाड़थल मधाना के समीप जंगलोट और आसपास के क्षेत्र में भी किंग कोबरा की साइटिंग हो चुकी है. इसके अलावा भी कई बार किंग कोबरा की उपस्थिति सामने आ चुकी है, लेकिन पांवटा साहिब घाटी के कोटड़ी ब्यास में पिछले करीब 2 सप्ताह में प्रदेश में पहली बार किंग कोबरा को तीन बार सुरक्षित रेस्क्यू किया जा चुका है.

साल के जंगलों में सांपों की अन्य प्रजातियां भी मौजूद
वन विभाग की मानें तो सिम्बलवाड़ा नेशनल पार्क सहित साल के जंगलों में सांपों की लगभग हर तरह की प्रजाति पाई जाती है. चूंकि किंग कोबरा अन्य विशैले और गैर विषैले सांपों की आबादी को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कोबरा की बड़ी खुराक अन्य प्रजातियों के सांप होते हैं. लिहाजा, घाटी में किंग कोबरा की बार-बार साइटिंग की भी ये बड़ी वजह मानी जा रही है.

क्या कहते हैं डीएफओ
वन मंडल पांवटा साहिब के डीएफओ ऐश्वर्य राज ने बताया कि किंग कोबरा को तीसरी बार रेस्क्यू किया गया है, जिसे सुरक्षित जंगल के काफी अंदर छोड़ दिया गया है. उन्होंने कहा कि चूंकि हेबिलिटेशन में इसकी मौजूदगी बार-बार यही हो रही है, तो इसे इसके मुख्य स्थान से 8 किलोमीटर से अधिक के दायरे में नहीं छोड़ा जा सकता. अलबत्ता गांव के लोगों को इस दिशा में जागरूक किया जा रहा है.