किसान दिवस पर धौलाकुआं में किसानों ने सीखे बागवानी से आय दोगुनी करने के तरीके, डॉ. प्रियंका ने दिया प्रशिक्षण

धौलाकुआं के खैरी फार्म में मंगलवार को 'किसान दिवस' का आयोजन किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया और आधुनिक बागवानी के साथ-साथ प्राकृतिक खेती की बारीकियों को समझा।

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धौलाकुआं : क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं के खैरी फार्म में मंगलवार को ‘किसान दिवस’ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया और आधुनिक बागवानी के साथ-साथ प्राकृतिक खेती की बारीकियों को समझा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्र की सह-निदेशक डॉ. प्रियंका ठाकुर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि फलों और फूलों के पौधों का नर्सरी उत्पादन अपनाकर किसान अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि फलदार बगीचों के बीच खाली पड़ी जमीन पर ‘इंटरक्रॉपिंग’ के रूप में फूलों की खेती करना एक मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है।

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122 बीघा फार्म में दिखी उन्नत किस्मों की झलक
प्रशिक्षण के दौरान किसानों को खैरी फार्म के 122 बीघा क्षेत्र का भ्रमण करवाया गया। यहां किसानों ने आम, लीची, अमरूद, नींबू वर्गीय फल, ऑस्ट्रेलियन बेर और ड्रैगन फ्रूट की उन्नत किस्में देखीं।

इसके अलावा सेब, बांस और विभिन्न सजावटी फूलों के पौधों के रखरखाव और उनकी उत्पादन क्षमता के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की। डॉ. प्रियंका ठाकुर ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से नींबू, स्ट्रॉबेरी, सब्जियों और फूलों की सफल काश्त के बारे में भी किसानों का मार्गदर्शन किया।

प्राकृतिक खेती के लिए ‘अमृत’ बनाने की विधि सीखी
किसानों को रसायन मुक्त खेती के प्रति प्रेरित करने के लिए फील्ड असिस्टेंट (ग्रेड-1) राकेश कुमार ने व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। उन्होंने किसानों को घर पर ही ‘बीजामृत’, ‘जीवामृत’ और ‘घनजीवामृत’ तैयार करने की विधि सिखाई।

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उन्होंने बताया कि कैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है और खेती की लागत को कम किया जा सकता है। इस अवसर पर अनुसंधान केंद्र के अन्य कर्मचारी और क्षेत्र के दर्जन भर प्रमुख किसान उपस्थित रहे, जिन्होंने इस सत्र को अपनी आजीविका सुधारने के लिए अत्यंत लाभकारी बताया।