नाहन : जिला सिरमौर के श्री रेणुकाजी इलाके के सौरभ शर्मा ने साबित कर दिया है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी बाधा अपने सपनों को पूरा करने से नहीं रोक सकती। ये युवा न केवल अन्य युवाओं के लिए बड़ी मिसाल बना है, बल्कि उन सभी के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बने हैं, जो जीवन की मुश्किलों से अक्सर घबरा जाते हैं।
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छछेती पंचायत के खाली अच्छोन गांव से संबंध रखने वाले सौरभ शर्मा ने हाल ही में नेट परीक्षा उत्तीर्ण कर दिखा दिया है कि जीवन में आने वाली चुनौतियों से नहीं घबराना चाहिए। हाल ही में सौरभ ने नेट क्वालीफाई कर शानदार उपलब्धि हासिल की है। इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास करने के लिए उन्होंने न तो कोचिंग ली और न ही किसी तरह की कोई ट्यूशन।
बड़ी बात ये है कि आज भी उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पिता ब्रह्मानंद शर्मा खेती बाड़ी कर अपना परिवार पाल रहे हैं। अपने पिता के कार्य में सौरभ भी हाथ बटाते हैं। वह खेती से लेकर पशुओं को पालने तक ऐसे सभी कार्य करते हैं, जो एक आम किसान करता है।
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किस्मत ने उन्हें कई कसौटियों पर परखा। वह 15 साल के हुए तो ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी ने उन्हें जकड़ लिया। उन्होंने इस बीमारी से जंग लड़ी, पीजीआई चंडीगढ़ में इसका ऑपरेशन कर उसे हरा दिया। वह बचपन से ही होनहार थे। हर स्थिति में उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित रखा।
10वीं और 12वीं में मेरिट हासिल कर उन्होंने अपनी शैक्षणिक काबिलियत का लोहा मनवाया। इसके बाद कॉलेज की शिक्षा के लिए रोजाना अपने घर से 30 किलोमीटर का सफर तय कर पांवटा साहिब कालेज पहुंचते थे। यहां से ग्रेजुएशन किया और पॉलिटिकल साइंस में अच्छे अंकों में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद नेट की परीक्षा दी, जिसे उत्तीर्ण कर उन्होंने अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
सौरभ शर्मा की बुआ जागृति शर्मा ने बताया कि उनके परिवार स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। खेती बाड़ी ही उनकी आर्थिकी का मुख्य साधन है। उन्होंने बताया कि बिना किसी कोचिंग या ट्यूशन के सौरभ ने NET जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में शानदार रैंक हासिल किया है।
सौरभ को खेती करने और गाय पालने का काफी शौक है। अक्सर उसे गौशाला या अपने खेतों में काम करते हुए देखा जाता है। NET क्वालीफाई करने के बाद सौरभ शर्मा अब असिस्टेंट प्रोफेसर, जूनियर रिसर्च फेलो (JRF) और पीएचडी के लिए योग्य हैं। इस उपलब्धि से इलाके में खुशी का माहौल है।