पांवटा साहिब : हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पर्यटन को एक नई पहचान मिलने वाली है। पांवटा साहिब स्थित सिरमौर वन विहार अब पर्यटकों को स्थानीय सिरमौरी व्यंजनों का लुत्फ उठाने का अवसर देगा। वन विभाग पांवटा साहिब और मालगी के श्री परशुराम स्वयं सहायता समूह कांडो नाडी के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
यह अनूठा वन विहार पांवटा साहिब-शिलाई नेशनल हाईवे-707 पर सतौन पुल से लगभग 50 मीटर पहले, गिरि नदी के किनारे तैयार किया गया है। यह सिर्फ एक पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि ज्ञान, संस्कृति और प्रकृति का एक खूबसूरत संगम है, जिसे वन विभाग ने बेहद शानदार तरीके से विकसित किया है।
आत्मनिर्भरता की नई पहल: महिलाएं चलाएंगी कैफे
वन विहार में एक आधुनिक कैफेटेरिया बनाया गया है, जहां सिरमौरी व्यंजन और अन्य खान-पान की चीजें उचित दामों पर उपलब्ध होंगी। स्थानीय स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं ही इस कैफेटेरिया का संचालन करेंगी।
यह पहल महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगी। विभाग का मानना है कि यह कदम पांवटा साहिब में स्थानीय महिलाओं और समुदायों के सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा और इस मॉडल को पांवटा साहिब व सिरमौर क्षेत्र के अन्य नेचर पार्कों में भी विस्तारित करने की योजना है।
ज्ञान, संस्कृति और प्रकृति का बेजोड़ संगम
वन मंडल पांवटा साहिब ने ‘सिरमौर वन विहार’ को एक शानदार पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है, जिसे जल्द ही पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।
ज्ञान का खजाना: यहां ‘सिरमौर की धरोहर‘ नाम से एक विशेष संग्रहालय बनाया गया है। यह पर्यटकों को सिरमौरी संस्कृति, गिरिपार के हाटी समुदाय के रीति-रिवाजों, परंपराओं और सिरमौर रियासत के इतिहास से रूबरू कराएगा।
इसके अलावा सिरमौरी खान-पान, मेले, वन्य प्राणी, हिमाचल और जिले के जंगलों में मिलने वाली औषधियां, वन क्षेत्र और जिले में विकसित किए गए इको टूरिज्म स्पॉट जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां भी यहां मिलेंगी। संग्रहालय के लिए टिकट का प्रावधान होगा।
* स्वाद का अनुभव: पर्यटक यहां सिरमौरी व्यंजनों के चटकारे ले सकेंगे, जो स्थानीय स्वाद और परंपरा को दर्शाते हैं।
* प्रकृति की शांति: यह वन विहार प्रकृति की गोद में बसा है, जहां पर्यटक शांत और तरोताजा महसूस करेंगे। इसके साथ बहने वाली गिरि नदी की कल-कल करती धाराएं मन को सुकून देंगी।
50 लाख की लागत से 2 एकड़ में भव्य निर्माण
इको टूरिज्म और ‘नई राहें नई मंजिल‘ योजना के तहत वन विभाग ने 2022 में इस परियोजना का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लगभग 50 लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया। वन मंडल पांवटा साहिब ने गिरि नदी के किनारे लगभग 2 एकड़ में फैले इस स्थल को पूरी तरह से विकसित किया है।
शानदार पार्क और अद्वितीय अनुभव
प्रकृति के बीच तैयार किए गए इस वन विहार में पर्यटकों को एक शानदार पार्क भी मिलेगा। पार्क में बैठने की व्यवस्था के साथ-साथ कई ऐसी सुविधाएं हैं, जहां पर्यटक प्रकृति के नजारों और गिरि नदी की ध्वनि के बीच शांति का अनुभव कर सकेंगे। पहाड़ी से बहते झरने को बांसों के माध्यम से एक ‘कूहल‘ का रूप दिया गया है, जहां लोग प्राकृतिक जल स्रोत से शुद्ध पानी पी सकते हैं। शौचालय और अन्य सुविधाएं भी यहां उपलब्ध हैं।
पर्यटन को मिलेगा बड़ा बढ़ावा
पांवटा साहिब-शिलाई-गुम्मा नेशनल हाईवे को हिमाचल प्रदेश के पहले ग्रीन कॉरिडोर के रूप में तैयार किया जा रहा है, जिसका कार्य अंतिम चरण में है। पांवटा साहिब से शिलाई तक 75 किलोमीटर के क्षेत्र में, सिरमौर वन विहार एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा, जिसकी कमी अब तक इस मार्ग से गुजरने वाले पर्यटकों को महसूस होती थी।
डी.एफ.ओ. पांवटा साहिब ऐश्वर्य राज ने बताया कि “सिरमौर वन विहार में पर्यटक सिरमौरी व्यंजनों का स्वाद चखने के साथ-साथ संग्रहालय के अंदर सिरमौर की छिपी संस्कृति और प्राकृतिक पहलुओं का भी आनंद ले सकेंगे। इसके साथ ही सिरमौरी ताल में पाए गए 12वीं शताब्दी के अवशेष भी यहां देखने को मिलेंगे।
कैफेटेरिया को लेकर स्वयं सहायता समूह से एमओयू साइन हो चुका है। जल्द ही यह वन विहार पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। उम्मीद है कि आने वाले समय में यह वन विहार एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में सामने आएगा, जहां लोगों को संग्रहालय, कैफेटेरिया और नेचर पार्क सभी की एक साथ सुविधा मिलेगी।”