भूलवश बदलीं अस्थियां: चंबाघाट श्मशान घाट में हुई घटना का पटाक्षेप, दोनों पक्षों में समझौता

तसदीक के दौरान पुलिस ने दोनों पक्षों को आमने-सामने बिठाया। प्रणव घोष और उनके परिवार ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए बताया कि उनकी कोई दुर्भावनापूर्ण मंशा नहीं थी। उन्होंने शिकायतकर्ता परिवार से इस बड़ी भूल के लिए माफी मांगी।

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सोलन : शहर के चंबाघाट श्मशान घाट में अस्थियां गायब होने के मामले में पुलिस की जांच पूरी हो गई है। जांच में पाया गया कि यह कोई चोरी की वारदात नहीं, बल्कि अंधेरे और एक जैसे लॉकर्स के कारण हुई एक मानवीय भूल थी। दोनों पक्षों में आपसी सहमति के बाद पुलिस ने मामले को बंद कर दिया है।

क्या था मामला?
बीते दिनों सोलन शहर पुलिस चौकी में एक शिकायत दर्ज करवाई गई थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने चंबाघाट श्मशान घाट के लॉकर से अपनी माता की अस्थियां गायब होने का आरोप लगाया था। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने गहनता से तसदीक शुरू की।

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पुलिस ने श्मशान घाट के रिकॉर्ड और CCTV फुटेज को खंगाला। जांच में सामने आया कि 19 दिसंबर की सुबह एक अन्य व्यक्ति प्रणव घोष अपने चाचा स्वर्गीय विजय घोष की अस्थियां लेने श्मशान घाट आए थे। सुबह का अंधेरा होने और लॉकर एक जैसे दिखने के कारण उनकी चाबी गलती से शिकायतकर्ता की माता वाले की लॉकर में लग गई। भूलवश प्रणव घोष उन अस्थियों को अपने चाचा की अस्थियां समझकर हरिद्वार ले गए और वहां गंगा में प्रवाहित कर दिया। उनके चाचा की अस्थियां अभी भी दूसरे लॉकर में सुरक्षित पाई गईं।

तसदीक के दौरान पुलिस ने दोनों पक्षों को आमने-सामने बिठाया। प्रणव घोष और उनके परिवार ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए बताया कि उनकी कोई दुर्भावनापूर्ण मंशा नहीं थी। उन्होंने शिकायतकर्ता परिवार से इस बड़ी भूल के लिए माफी मांगी।

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एसपी सोलन गौरव सिंह ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज और बयानों से स्पष्ट हुआ है कि इसमें किसी भी प्रकार का संज्ञेय अपराध नहीं हुआ है। शिकायतकर्ता पक्ष ने भी माफी स्वीकार करते हुए किसी भी कानूनी कार्रवाई से इनकार कर दिया है। उन्होंने बताया कि यह घटना पूरी तरह से अनजाने में हुई त्रुटि का परिणाम थी। सीसीटीवी और रिकॉर्ड के मिलान के बाद दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया है।

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