वन संरक्षण अधिनियम के लंबित प्रकरणों के जल्द निपटान के आदेश, बैठक में इन मामलों पर चर्चा

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नाहन : वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के लंबित प्रकरणों को लेकर मंगलवार को डीसी कार्यालय के सभागार में बैठक का आयोजन किया गया. डीसी सिरमौर सुमित खिमटा की अध्यक्षता में हुई बैठक में विभिन्न प्रयोक्ता संस्थाओं द्वारा वन विभाग के (परिवेश) पोर्टल पर आवेदित मामलों के बारे में विस्तार से विचार विमर्श किया गया.

डीसी ने प्रयोक्ता संस्थाओं को प्रमुखता से इन मामलों के शीघ्र निपटान के आदेश दिए। साथ ही अगली बैठक से पहले पुनः सूचीबद्ध करने बारे भी निर्देश जारी किए. ताकि आगामी कार्यवाही सम्बद्ध तरीके से की जा सके. इसके अलावा प्रयोक्ता संस्थाओं को आदेश दिए कि यदि (परिवेश) पोर्टल पर किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो उस स्थिति में वन मंडल अधिकारियों के कार्यालय में जाकर समस्या का समाधान करें, ताकि (परिवेश) पोर्टल पर लंबित मामलों को शीघ्र ही सैद्धांतिक अनुमति के लिए उच्च अधिकारियों को प्रेषित किया जा सके.

इसके अतिरिक्त डीसी ने शिक्षा विभाग के उपनिदेशक को राजीव गांधी मॉडर्न डे बोर्डिंग स्कल से संबंधित एफसीए मामलों का प्राथमिकता के आधार पर निपटान करने के निर्देश दिए. बैठक में गिरि नदी पर बन रहे श्री रेणुका जी ब्रिज के बारे में वन मंडल अधिकारी ने अवगत करवाया कि इस मामले में संयुक्त जांच करना शेष है.

इसे लेकर डीसी ने आदेश दिए कि शीघ्र इंस्पेक्शन करवाकर इस केस में आगामी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. इसके साथ साथ डीसी ने निर्देश दिए कि जितने भी मामले एफसीए उल्लंघन के हैं, उन मामलों में स्पष्टीकरण दें और इन मामलों में आगामी कार्रवाई की जाए.

इसी तरह बैठक में कांशीवाला में बनने वाले मेडिकल कॉलेज के विस्तार के बारे में चर्चा की गई, जिसमें प्रयोक्ता संस्था को प्रशासनिक स्वीकृति के बारे में उच्च अधिकारियों से पत्राचार करने और ले आउट प्लान के संबंध में आगामी कार्रवाई करने बारे आदेश दिए गए.

आदिबद्री में बनने वाले डैम के बारे में भी चर्चा की गई. इस बैठक में हरियाणा के जल शक्ति विभाग के कनिष्ठ अभियंता बैठक में शामिल हुए और उन्हें इस केस में लगे ऑब्जरवेशन को शीघ्र दुरुस्त करके मामले को वन विभाग को भेजने का निर्देश दिया गया.

इस मौके पर जिन केसों का एरिया 1 हेक्टेयर से कम है व उसमें अधिकतम 75 वृक्षों तक कटान किया जाना है या जिन में कोई पेड़ नहीं है, ऐसे केसों को वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत संबंधित वन मंडल अधिकारी से निर्धारित आवश्यक दस्तावेजों द्वारा अपनी सहमति दर्ज करवाई गई.