शौर्य चक्र विजेता डाक कर्मी स्व. बहादुर सिंह की पत्नी संदला देवी का निधन, सिरमौर में शोक की लहर

तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पहले उनकी पत्नी संदला देवी को साल 2004 में मेघदूत पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके उपरांत 2005 में उनकी बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों में से एक 'शौर्य चक्र' से भी सम्मानित किया गया।

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नाहन : सिरमौर ने आज एक ऐसी वीरांगना को खो दिया, जिन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले अपने पति की विरासत को सम्मान के साथ संभाले रखा।

शौर्य चक्र से सम्मानित डाक विभाग के स्वर्गीय बहादुर सिंह की धर्मपत्नी संदला देवी का सोमवार सुबह करीब 8:00 बजे उपमंडल संगड़ाह के सांगना में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 75 साल की थीं। उनके निधन से समूचे संगड़ाह क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।

बता दें कि स्वर्गीय बहादुर सिंह भारतीय डाक विभाग में पोस्टमैन के पद पर नालागढ़ में कार्यरत थे। उन्होंने अपनी ड्यूटी के प्रति जो अदम्य निष्ठा दिखाई, वह इतिहास में दर्ज है। एक दिन जब वह ₹9 लाख का सरकारी कैश बैंक में जमा करवाने जा रहे थे, तब कुछ अज्ञात लुटेरों ने उनसे पैसा लूटने के इरादे से गोली चला दी।

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अपनी जान की परवाह किए बिना बहादुर सिंह ने सरकारी पैसे से भरा हुआ सूटकेस नहीं छोड़ा। लुटेरे उन्हें गोली लगने के बावजूद करीब 70 मीटर तक घसीटते चले गए।

अंत में लुटेरों ने उनके सीने में गोली मारी। इसके बाद लुटेरे तब पैसे छीनने में कामयाब हुए, जब उनके प्राण निकल गए। उनकी इस असाधारण बहादुरी और सर्वोच्च कर्तव्यनिष्ठा को देश ने नमन किया।

राष्ट्रपति ने किया था संदला देवी को सम्मानित
स्वर्गीय डाक कर्मी बहादुर सिंह की ईमानदारी और बहादुरी को ध्यान में रखते हुए देश के तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पहले उनकी पत्नी संदला देवी को साल 2004 में मेघदूत पुरस्कार से सम्मानित किया।

इसके उपरांत 2005 में उनकी बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों में से एक ‘शौर्य चक्र’ से भी सम्मानित किया गया।

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शौर्य चक्र सम्मान आज भी भारतीय नागरिकों (सिविलियन) के लिए साहस की एक दुर्लभ और असाधारण मिसाल है। यह पुरस्कार सेना के कर्मियों के साथ-साथ नागरिकों को भी दिया जाता है, लेकिन एक डाक कर्मी को मरणोपरांत यह सम्मान मिलना उनकी बहादुरी का गवाह है।

संदला देवी ने संभाली विरासत
संदला देवी ने अपने पति के बलिदान के बाद उनके चार बेटों और दो बेटियों को पाला पोसा और उन्हें देश सेवा के लिए प्रेरित किया।

जिला भाजपा प्रवक्ता प्रताप सिंह रावत के अनुसार जब राष्ट्रपति भवन दिल्ली में अलंकरण समारोह आयोजित हुआ तो वह भी अपनी चाची और चचेरे भाई जगपाल के साथ पहुंचे थे।

रिश्ते में उनकी चाची संदला देवी के बेटे जगपाल सिंह भारतीय डाक विभाग में पोस्टल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं, जबकि अमृत सिंह भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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यह परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी देश सेवा की इस महान परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि उनके तीसरे बेटे जगदीश कुमार सरकारी ठेकेदार हैं, जबकि सबसे बड़े पुत्र दलीप सिंह अग्रणी किसान हैं। वह अपने पीछे बेटी शीला देवी और कविता को भी छोड़ गई हैं।

उनके निधन की खबर सुनते ही इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। क्षेत्र के कई राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों से जुड़े लोग उनके घर पर पहुंचकर शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दे रहे हैं।