पांवटा साहिब : हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने माजरा प्रकरण पर कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा तो वहीं स्थानीय प्रशासन और अधिकारियों को खूब खरी खोटी सुनाई।
बुधवार को पांवटा साहिब में हुई जनाक्रोश सभा को संबोधित करते हुए जयराम ने कहा कि यह सिर्फ पांवटा साहिब या नाहन का मामला न होकर पूरे हिमाचल प्रदेश का मामला है। भाजपा संबंधित परिवार के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ी है। प्रशासन ये जान लें कि जेल भेजने की गीदड़ भभकी से हमें नहीं डरा सकते। आप गिरफ्तारियां करेंगे, तो भाजपा के सांसद, विधायक और नेता जेल जाने से डरने वाले नहीं है और सब इसके लिए तैयार हैं। सरकार हमारे सब्र का इम्तिहान न ले।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 97 फीसदी हिंदुत्व को हराने की मानसिकता से बाहर ही नहीं निकल पाए हैं। हिंदूवादी समाज से जुड़े लोगों को फंसाने और उन्हें जेल भेजने की साजिश रच रहे हैं। हिंदुत्व की भावना को कुचलने और उन्हें अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं।
माजरा की यह घटना भी मुख्यमंत्री की इसी विचारधारा का परिणाम है। इस संवेदनशील मुद्दे पर एक मंत्री घटिया बयान दे रहा है, जिसका जिक्र भी हम यहां नहीं कर सकते। जिले से जुड़े मंत्री को तो प्रशासन व पुलिस को साफ-साफ यह कहना चाहिए था कि पहले बिटिया को खोज कर लाओ, बाकी बातें बाद में होगी, लेकिन यहां तो संरक्षण दिया जा रहा है। जब भावनाएं आहत होंगी, तो एक बाप क्या करेगा?
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि पुलिस को पता था कि लड़की कहां है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद ऐसे हालत बने। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल और विधायक सुखराम चौधरी लोगों को शांत करवाने का काम कर रहे थे, लेकिन उन पर ही हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि जो पुलिस बिटिया को खोजकर लाने के नाम पर सोई पड़ी थी, अब सरकार के कहने पर दिन-रात बिटिया के समाज से जुड़े लोगों की ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि दूसरी तरफ से जिन लोगों ने छतों से पत्थर चलाए, उनमें से कितने लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई? कितने लोगों को जेल भेजा गया है? सरकार और प्रशासन सत्ता का अहंकार त्यागे और पीड़ित पर ज्यादती बंद करें, अन्यथा अंजाम बहुत बुरा होगा।
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि कानून-कायदा भूल चुके अधिकारी यह जान लें कि सरकारें आती हैं, जाती हैं। सत्ता का इतना मद ठीक नहीं। अब इस सरकार की अपनी कोई गारंटी नहीं है। आगे सरकार के पास अपने बचाव का कोई रास्ता नहीं बचेगा, तो वह और लोगों को क्या बचाएगी? इसलिए प्रशासन सत्ता के संरक्षण में किसी की भावनाओं को कुचलने का प्रयास न करें।