शिमला : हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून के कारण हुई भारी तबाही को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार के राजस्व विभाग के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव अब पूरे प्रदेश में सड़कों की उचित बहाली और सुरक्षित कनेक्टिविटी सुनिश्चित होने के बाद ही करवाए जाएंगे।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 24(ई) के तहत राज्य कार्यकारी समिति ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जारी आदेशों के अनुसार मानसून की विनाशकारी वर्षा के कारण प्रदेश में सड़कों, सार्वजनिक और निजी संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है।
ऐसी विषम स्थिति में चुनाव कराना मतदाताओं और मतदान कर्मियों दोनों के लिए असुरक्षित हो सकता है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सड़क संपर्क न होने के कारण कोई भी नागरिक अपने मताधिकार से वंचित न रहे।
यह निर्णय मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला के जिला उपायुक्तों द्वारा पंचायती राज सचिव के माध्यम से किए गए अनुरोध के बाद लिया गया। इन जिलों से मिली रिपोर्ट में चुनाव प्रक्रिया से जुड़े लोगों और चुनाव सामग्री की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई थीं और क्षतिग्रस्त सड़कों की बहाली होने तक चुनाव न कराने की सिफारिश की गई थी।
आदेश में इस वर्ष मानसून से हुए भारी नुकसान का भी उल्लेख किया गया है। प्रदेश में 19 जून से सक्रिय मानसून के दौरान बादल फटने की 47, आकस्मिक बाढ़ की 98 और बड़े भूस्खलन की 148 घटनाएं दर्ज की गईं।
इन प्राकृतिक आपदाओं में 270 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। मौसम विभाग के अनुसार मानसून के बाद भी पश्चिमी विक्षोभ के कारण भारी वर्षा हुई, जिससे आपदाओं में 13 और लोगों की मौत हो गई।
दूसरी ओर राज्य चुनाव आयोग नवंबर-दिसंबर माह में पंचायत और नगर निकाय चुनाव करवाने की तैयारी पिछले 2 महीने पहले से ही शुरू कर चुका था। इन दिनों वोटर लिस्ट बनाने का काम चल रहा था और आयोग ने आरक्षण रोस्टर लगाने के भी निर्देश दे दिए थे।






