धौलाकुआं : चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने दिसंबर, 2025 माह के पहले पखवाड़े में किए जाने वाले कृषि कार्यों के बारे में एडवाइजरी जारी की है।
कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं सिरमौर के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डा. पंकज मित्तल ने बताया कि यह एडवाइजरी विशेष रूप से गेहूं की पछेती बिजाई, आलू की रोपाई, खरपतवार नियंत्रण और विभिन्न फसलों में कीट व रोग प्रबंधन पर केंद्रित है, जिसे अपनाकर किसान अपनी उपज और आय में उल्लेखनीय लाभ उठा सकते हैं।
गेहूं की इन किस्मों की करें बिजाई
डा. पंकज मित्तल ने बताया कि सिंचित क्षेत्रों या बारानी क्षेत्रों में जहां गेहूं की बुआई न की गई हो तो वर्षा होने पर या सिंचाई करके गेहूं की पछेती किस्में एच.पी.डब्ल्यू.-373, एच.एस.-490 व वी.एल.-892 की बिजाई करें।
वहीं, निम्न पर्वतीय क्षेत्रों में एच.डी.3086 की बिजाई भी की जा सकती है। बीज की मात्रा 10 किलोग्राम प्रति बीघा व बिजाई 20 सेंटीमीटर की दूरी पर करें। अच्छी उपज लेने के लिए बिजाई के समय मिश्रित खाद इफको 12:32:16 की मात्रा 10 किलोग्राम + 4 किलोग्राम यूरिया प्रति बीघा जरूर डालें।
जहां गेहूं की बुआई 30-35 दिन पहले की गई हो और खरपतवारों पर 2-3 पत्तियां आ गई हों तो इस अवस्था में गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायनों का छिड़काव करें।
दोनों प्रकार के खरपतवार नियंत्रण के लिए वेस्टा (मेटसल्फयूरान मिथाईल 20 डव्ल्यू.पी. और क्लोडिनाफाप प्रोपार्जिल 15 डव्ल्यू.पी.) 32 ग्राम प्रति 60 लीटर पानी प्रति बीघा के हिसाब से खेतों में छिड़काव करें। केवल चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिए 2,4 -डी की 100 ग्राम मात्रा 60 लीटर पानी में घोलकर एक बीघा में छिड़काव करें।
ऐसे बढ़ाएं सब्जी उत्पादन
प्रदेश के निचले एवं मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में प्याज की तैयार पौध की रोपाई 15-20 सेंटीमीटर पंक्तियों और 5-7 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी पर करें। रोपाई के समय 8-10 क्विंटल गोबर की गली सड़ी खाद के अतिरिक्त 18 कि.ग्रा. इफको 12:32:16 मिश्रण खाद प्रति बीघा खेतों में डालें।
आलू की बिजाई के लिए उन्नत किस्मों जैसे कुफरी ज्योति, कुफरी नीलकंठ, कुफरी ख्याति, कुफरी गिरीराज व कुफरी चंद्रमुखी इत्यादि का चयन करें। बिजाई के लिए स्वस्थ, रोग रहित साबुत या कटे हुए कंद वजन लगभग 30 ग्राम और 2-3 आखें प्रत्येक आलू के टुकड़ों में हो का प्रयोग करें।
आलू के लिए बीज की मात्रा 2 क्विंटल प्रति बीघा रखें। बिजाई से पहले कंदों को एंडोफिल एम-45 की 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के घोल में 20 मिनट तक भिगोने के बाद छाया में सुखाकर बिजाई करें। दवाई का एक बार बनाया हुआ घोल तीन बार तक प्रयोग में लाया जा सकता है।
आलू की बिजाई तैयार खेत में 15-20 सेंटीमीटर आलू से आलू और 45-60 सेंटीमीटर पंक्ति से पंक्ति की दूरी पर मेढ़े बनाकर की जा सकती है। बिजाई के समय 8-10 क्विंटल गोबर की गली सड़ी खाद के अतिरिक्त 20 किलोग्राम इफको 12:32:16 मिश्रण खाद और 5 किलोग्राम यूरिया खाद प्रति बीघा खेत में डालें।
खरपतवार नियंत्रण के लिए ग्रामेक्सॅान या पैराक्वेट 3 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर आलू के 5 प्रतिशत अंकुरण होने तक छिड़काव करें। इसके अतिरिक्त खेतों में लगी सभी प्रकार की सब्जियों फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, गांठगोभी, पालक, मैथी, मटर, लहसुन इत्यादि में निराई, गुड़ाई करें और नत्रजन 4 किलोग्राम यूरिया प्रति बीघा खेतों में डालें।
ऐसे करें फसल संरक्षण
जिन किसानों ने अभी गेहूं की बिजाई करनी है वे गेहूं के बीज को बैवस्टिन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज अथवा रैक्सिल 1 ग्राम/1 किलोग्राम से उपचारित करने के बाद गेहूं की बिजाई करें।
बीज का उपचार करने से गेहूं की खुली कांगियारी और हिल बंट आदि रोगों से बचाव होता है। जिन क्षेत्रों में दीमक की समस्या हो वहां पर 2 लीटर क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. को 25 कि.ग्रा. रेत में मिलाकर प्रति हैक्टेयर की दर से शाम को बिजाई के समय खेत में बिखेर दें।
गोभी प्रजाति की सब्जियों की पौध की रोपाई करने से पहले भूमि के अंदर रहने वाले कीटों जैसे कटुआ, सफेद सुण्डी व लाल चींटी आदि की रोकथाम के लिए रोपाई के समय 2 लीटर क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. को 25 किलोग्राम रेत में मिलाकर प्रति हैक्टेयर की दर से क्यारियों में डालें।
पौध को कमरतोड़ व जड़ गलन रोग से बचाने के लिए इंडोफिल एम-45 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी और बैवस्टिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के मिश्रित घोल से क्यारियों को सींचे। गोभी व अन्य सब्जियों में तेले के नियंत्रण के लिए रोगर या डायमेथोएट व पत्ते खाने वाली सुंडियों के नियन्त्रण के लिए मैलाथियान नामक दवाई 1 मिली लीटर प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
दलहनी एवं तिलहनी फसलों की करें निराई
प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि दलहनी एवं तिलहनी फसलों में अगर खरपतवार नियंत्रण रसायनों का प्रयोग न किया गया हो तो इस समय इन फसलों में निराई गुड़ाई करें। दलहनों व तिलहनों की गेहूं के साथ मिश्रित खेती भी की जा सकती है।






