नौहराधार : हिमाचल प्रदेश की जिला सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी चूड़धार पर पिछले 14 दिनों से बर्फ के बीच दबे अक्षय की तलाश में एक कौवा मददगार बना. कौवे के कारण ही अक्षय का सुराग लग पाया, लेकिन दुखद पहलू ये रहा कि अक्षय हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गया.
वह बर्फ के बीच मृत अवस्था में मिला. बुधवार दोपहर नाहन मेडिकल कॉलेज में शव का पोस्टमार्टम करवा परिजनों को सौंप दिया गया. वहीं इस घटना में इकलौते चिराग के संसार छोड़ जाने के बाद परिवार पर भी दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.
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दरअसल, चोटी पर लापता अक्षय की तलाश कर रहे लोगों की नजर यदि कौवे पर न पड़ती तो भारी बर्फबारी के बीच दबे अक्षय का शायद अब भी कोई सुराग न लग पाता. करीब 12000 फीट की ऊंचाई पर कौवे का होना ही सबसे बड़ा संकेत था. बस लोगों ने कौवे के आसपास लापता की तलाश शुरू की और बर्फ के नीचे उसे खोज निकाला.
हालांकि, इससे पहले एसडीआरएफ और माउंट एवरेस्ट एक्सपर्ट की टीमें भी चोटी पर खाक छान चुकी थी. जब लापता के बारे में कहीं भी कोई सुराग नहीं लगा तो ये टीमें भी बैरंग लौट गईं. इसके बाद माउंट एवरेस्ट की चोटी फतेह करने वाली बलजीत कौर भी चोटी पर तलाश में निकली थी, लेकिन उससे पहले नौहराधार के स्थानीय वालेंटियर्स मानवता दिखाते हुए खुद ही चोटी पर तलाश के लिए निकल पड़े.
इस बीच जैसे-तैसे मुश्किल हालातों का सामना करते हुए 3 युवक नौहराधार से चढ़ाई चढ़कर करीब 15 किलोमीटर दूर उस स्थान पर पहुंचे, जहां उनकी नजर कौवे पर पड़ी. कौवा कुछ संकेत दे रहा था, जो बार-बार उड़कर एक ही स्थान पर पहुंच रहा था. बस यही संकेत काफी था और युवा उस स्थल पर पहुंचे, जहां अक्षय बर्फ के बीच दबा हुआ मिला.
इसकी जानकारी तुरंत युवाओं ने स्थानीय प्रशासन तक पहुंचाई, जिसके बाद गत मंगलवार की रात करीब साढ़े 10 बजे शव को बर्फ के बीच कड़ी मशक्कत के बाद नौहराधार पहुंचाया गया. इस कार्य में वालेंटियर्स के अलावा पुलिस, पर्वतारोही बलजीत कौर और अन्य लोग शामिल रहे.
उधर, नौहराधार पहुंचने पर कपड़ों और हुलिये के आधार पर शव की पहचान उसके मामा रविंद्र पाल और चचेरे भाई ने की, जो स्थानीय प्रशासन की ओर से सूचना मिलने के बाद नौहराधार पहुंचे थे. शिनाख्त के बाद शव को संगड़ाह अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद बुधवार को शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कालेज नाहन भेजा गया, जहां दोपहर बाद उसे परिजनों को सौंप दिया.
बता दें कि अक्षय साहनी पुत्र स्व. अनिल साहनी, हाउस नंबर 1320, सेक्टर 15, पंचकूला (हरियाणा) अपने परिवार का इकलौता चिराग था. अपने लापता बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद मां दीपाली साहनी का रो-रोकर बुरा हाल है. अब तक अक्षय के साथ क्या हुआ, उसकी दादी इससे पूरी तरह बेखबर थी.
करीब पांच साल पहले अक्षय के पिता का भी देहांत हो चुका है. इसके बाद अक्षय ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी संभाल रहा था, जो एक मोबाइल कंपनी में कार्यरत था. इकलौते चिराग के खोने के बाद अब परिवार पर मुसीबतों का पड़ाह टूट गया है.
उधर, एसएचओ संगड़ाह मंशाराम ने बताया कि पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार के लिए शव परिजनों को सौंप दिया है. उन्होंने माना कि कौवे के संकेत को भांपकर स्थानीय लोगों की टीम को लापता अक्षय के शव की बरामदगी हुई.